कहानी छत्तीसगढ़ के बजट की, कैसे छू गई आसमानी जंबो राशि

मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बने 25 साल से अधिक हो गए। इस साल वार्षिक बजट का आकार पौने दो लाख करोड़ रुपए से अधिक पहुंच चुका है

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  • Updated On - February 23, 2025 / 02:01 PM IST

रायपुर/ मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) राज्य बने 25 साल से अधिक हो गए। इस साल वार्षिक बजट(Annual budget) का आकार पौने दो लाख करोड़ रुपए से अधिक पहुंच चुका है यानी करीब 30 गुना से ज्यादा बढ़ चुका है। जाहिर है, आने वाले साल में बजट लगभग दो लाख करोड़ रुपए के करीब पहुंच जाएगा। मूल बजट के अलावा हर साल अनुपूरक बजट भी पेश होते रहे हैं, इसलिए सालाना आंकड़ा तेजी से उछले। राज्य बनने के बाद बजट 5700 करोड़ रुपए से शुरू हुआ था। 1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से अलग कर छत्तीसगढ़ नया राज्य बनाया गया, जिसके बाद कांग्रेस नेता अजीत जोगी के नेतृत्व में राज्य की पहली सरकार बनी थी। तब से लेकर अब तक छत्तीसगढ़ के बजट का इतिहास दिलचस्प रहा है।

छत्तीसगढ़ के ज्यादातर बजट मुख्यमंत्री ने ही पेश किए हैं। छत्तीसगढ़ के इन 25 सालों के इतिहास पर एक नजर डालें, तो कोरिया राजघराने से तालुक रखने वाले स्व. डॉ. रामचंद्र सिंहदेव राज्य के पहले वित्त मंत्री थे। इन्होंने बतौर वित्त मंत्री 3 बार छत्तीसगढ़ का बजट पेश किया था। रामचंद्र सिंहदेव ने 2001-02 में कुल 7 हजार 294 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। 2002-03 तक में 8 हजार 471 करोड़ के आम बजट के साथ एक अनुपूरक बजट पेश किया था। 2003-04 तक में 9 हजार 978 करोड़ रुपए का बजट पेश किया। साथ ही दो अनुपूरक बजट भी पेश किया गया था। उसके बाद भाजपा सरकार आने पर 15 साल तक बजट के आकार में हर साल 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। फिर 2019-20 से कांग्रेस सरकार पे पांच साल बजट पेश किया।

रमन ने 12 बार

2007 में रमन सिंह ने अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। 2007 से लेकर 2018 तक रमन सिंह ने वित्त विभाग को अपने पास रखा और हर साल बतौर सीएम वे बजट पेश करते रहे। इस तरह रमन सिंह ने कुल 12 बार बजट पेश किया। 2018-19 में अंतिम बजट पेश किया। उनके कार्यकाल के दौरान बजट में मूल रुप से अधोसंरचना विकास पर फोकस रहा।

वर्ष बजट राशि

2001-02 7 हजार 294 करोड़
2002-03 8 हजार 471 करोड़
2003-04 9 हजार 978 करोड़
004-05 10 हजार 555 करोड़
2005-06 11 हजार 242 करोड़
2006-07 13 हजार 185 करोड़
2007-08 16 हजार 473 करोड़
2008-09 19 हजार 392 करोड़
2009-10 23 हजार 482 करोड़
2010-11 26 हजार 099 करोड़
2011-12 32 हजार 477 करोड़
2012-13 39 हजार 677 करोड़
2013-14 44 हजार 169 करोड़
2014-15 54 हजार 710 करोड़
2015-16 65 हजार 013 करोड़
2016-17 76 हजार 032 करोड़
2017-18 88 हजार 599 करोड़
2018-19 95 हजार 899 करोड़
2019-20 1 लाख 20 हजार करोड़
2021-22 97 हजार 106 करोड़
2022-23 1 लाख 04 हजार 603 करोड़
2023-24 1 लाख 21 हजार 501 करोड़
2024-25 1 लाख 47 हजार 446 करोड़

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