कहानी हौंसले और जज्बे की : खेल से बनीं आरक्षक अब लता राष्ट्रीय स्तर पर बजाएंगी डंका

By : hashtagu, Last Updated : April 4, 2025 | 8:34 pm

–बचपन से था पढ़ाई के साथ खेल की प्रति जुनून: इसी ने दिलाई पुलिस भर्ती में भी सफलता
7 से 11 अप्रैल तक लखनऊ में होनी है प्रतियोगिता
–हैंडबॉल खिलाड़ी के रूप में 24 खिलाडिय़ों के दल के साथ रवाना हुईं लता

बालोद। बालोद जिला मुख्यालय के कंट्रोल रूम में पदस्थ आरक्षक लता सोनवानी लखनऊ में 7 से 11 अप्रैल तक होने वाली पुलिस ऑल इंडिया हैंडबॉल प्रतियोगिता में (Police All India Handball Competition)छत्तीसगढ़ हैंडबॉल की टीम(Chhattisgarh handball team) के खिलाड़ी के रूप में चयनित हुई है। 24 खिलाडिय़ों की टीम के साथ लता लखनऊ के लिए रवाना हो चुकी है। इस चयन पर हमने उनसे विशेष बातचीत की और उनके अब तक के सफर के बारे में जाना। उन्होंने कहा कि वह मूलत: धमतरी की रहने वाली है। हालांकि हाल ही में उनकी शादी बालोद जिले की ही ग्राम धरमपुरा (नर्रा) के ही रहने वाले चंद्रदेव टांडिया के साथ हुआ है। बचपन में माता-पिता उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ खेल के लिए प्रोत्साहित करते रहे। अब शादी के बाद उनके ससुराल वाले भी सपोर्ट करें हैं। जब उनका लखनऊ के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए चयन हुआ तो ससुराल वालों ने बिना किसी रोक-टोक के उन्हें जाने की इजाजत दी और उन्हें इसी तरह आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया। लता बताती है कि धमतरी में उनके पिता संतोष सोनवानी सब्जी मंडी में मुंशी का काम करते हैं तो वही माता जानकी गृहणी है। उक्त सोनवानी दंपत्ति की तीन बेटियां हैं। जिनमें सबसे बड़ी लता ही हैं। माता-पिता ने कभी बेटे की लालसा नहीं की और अपनी बेटियों को ही बेटा मान लिया।

माता-पिता ने बचपन से बढ़ावा दिया, शादी के बाद अब ससुराल वाले भी सपोर्ट कर रहे

लता कहतीं है कि उनके माता-पिता के लिए वह हमेशा सबसे बड़े बेटे की तरह रही और उन्हें कभी बेटे की कभी महसूस नहीं हुई। उनकी छोटी बहन की शादी हो गई है। मंझली बहन भी धमतरी के स्कूल में स्पोर्ट टीचर है। लता ने बताया कि बचपन में उनके दादा स्वर्गीय मोहनलाल सोनवानी भी उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ खेल के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे। 2013 में पुलिस आरक्षक के रूप में बालोद जिला में पोस्टिंग पाने वाली लता सोनवानी पहले बालोद जिले के महिला सेल में पदस्थ रही। फिर अनुसूचित जाति कल्याण (अजाक) थाने में रही। इसके बाद बालोद सिटी कोतवाली और अब कंट्रोल रूम में पदस्थ है। इस दौरान विभिन्न अपराधों को सुलझाने के लिए बनी टीम में भी उनकी अहम भूमिका रही है। रक्षा टीम में भी उन्होंने काम करते हुए स्कूल कॉलेज में खासतौर से युवतियों को विभिन्न अपराधों के प्रति सजग किया और उन्हें आत्मरक्षा का प्रशिक्षण भी दिया। बचपन से ही लता को हैंडबॉल, वॉलीबॉल और एथलेटिक्स खेलने का शौक रहा।

बचपन में कार्टून, फिल्म या सीरियल देखने के बजाय टीवी पर देखा करती थी खेल

जब वह छोटी थी तो टीवी में खेल चैनल ही देखा करती थी। उसके लिए कोई कार्टून, फिल्म या सीरियल वाले चैनल के बजाय पसंदीदा चैनल स्पोट्र्स चैनल होता था। जब फिर वह स्कूल पहुंची तो वहां प्राइमरी तक सामान्य कबड्डी, खो खो, मेंढक दौड़ आदि खेल खिलाए जाते थे। जब वह छठवीं से 12वीं की पढ़ाई करती रही, इस दौरान उन्हें खेल का असली महत्व समझ आया और उन्हें उनके तत्कालीन स्पोर्ट टीचर शिक्षिका घाटके का विशेष प्रोत्साहन मिला। जो उन्हें अलग-अलग स्तर की प्रतियोगिता में शामिल करवाने के लिए ट्रेनिंग देती थी और धीरे-धीरे उन्हें सफलता भी मिलती गई।

हरियाणा में जीत चुकी हैं गोल्ड मेडल

लता सोनवानी ने बताया कि कोरोना काल के दौरान जब 2021-22 में कुछ महीनों के लिए लॉकडाउन हटा तो हरियाणा के सिरसिदा में पुलिस ओपन हैंडबॉल राष्ट्रीय प्रतियोगिता हुई थी। जहां सिर्फ पुलिस ही नहीं आर्मी, बीएसएफ सहित अन्य देश सेवा में जुटे जवानों की सामूहिक प्रतियोगिता हुई। इस कड़े मुकाबले के बीच उन्होंने हैंडबॉल में गोल्ड मेडल के साथ जीत दर्ज की थी। इसके अलावा पंजाब नागपुर सहित अन्य जगहों पर भी वह अपना खेल का हुनर आजमा चुकी है और सफलता पा चुकी है। पुलिस विभाग में आने के पहले भी वह खेल के क्षेत्र में अव्वल रही है।

इस तरह से हुआ राज्य की टीम के लिए चयन

इन सब उपलब्धियां से अवगत पुलिस विभाग ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भेजने राज्य की टीम में शामिल करने के लिए विगत दोनों ट्रेनिंग के लिए बुलाया। जहां विभिन्न खिलाडिय़ों के बीच खेल हुआ और बेहतर प्रदर्शन करने वालों की टीम बनाकर लता को भी उक्त टीम का हिस्सा बनाया गया और लखनऊ भेजा गया है।

खेल का मिला पुलिस भर्ती में लाभ

लता ने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ खेल भी जरूरी है। खेल में बेहतर प्रदर्शन और खिलाड़ी होने के कारण उन्हें पुलिस भर्ती में बोनस अंक मिला। एनसीसी में भी वह ए,बी,सी तीनों सर्टिफिकेट धारक कैंडिडेट रही है। इन सबका लाभ उन्हें पुलिस भर्ती में बोनस अंक के रूप में मिला और 2013 में ही उनका बालोद पुलिस आरक्षक भर्ती में चयन हो गया। कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर आदि की पढ़ाई पूरी कर उन्होंने पुलिस लाइन में जाने का फैसला किया और पुलिस आरक्षक के रूप में सेवा देते देते उन्होंने अपने खेल के प्रति जुनून को जिंदा रखा और आज यही वजह है कि विभाग के उच्च अधिकारी भी उनकी प्रतिभा से अवगत है और इसी कारण उन्हें राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए टीम का हिस्सा बनने का भी मौका मिला। इस पर वह काफी गौरवान्वित महसूस कर रही है और अपना इस प्रतियोगिता में 100त्न देने की बात की।

जीवन में खेल भी जरूरी, बढ़ता है हौंसला

लता सोनवानी ने युवाओं से कहा कि खेल से पीछे नहीं हटना चाहिए। इसके कई फायदे हैं। खेल से शरीर तो स्वस्थ रहता ही है तो ही मानसिक तनाव भी कम होता है। जीवन में खेल भी जरूरी है। इससे विपरीत हालातों में हिम्मत न हारने का जुनून पैदा होता है तो हौसला भी बढ़ता है। लखनऊ में हैंडबॉल के अलावा बास्केटबॉल की भी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता हो रही है। उनका चयन हैंडबॉल के लिए हुआ है। छत्तीसगढ़ से लगभग 50 लोगों की टीम उक्त दोनों खेल के लिए रवाना हुई है।

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