STORY: हाथी प्रबंधन के मित्र दल की मेहनत ला रही रंग, तैयार हो रहे पुनर्वास केंद्र
By : madhukar dubey, Last Updated : February 17, 2025 | 11:07 pm
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सात दिन के सत्र में व्यवहारिक और सैद्धांतिक दोनों ही तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं। इनमें शारीरिक फिटनेस के साथ हाथियों के पदचिह्न, लीद और आकार से उनके व्यवहार का अध्ययन भी शामिल है। अभी तक किसी विशेष परिस्थिति में ट्रैकर दूसरे राज्यों से बुलाने पड़ते थे।
मगर, अब स्थानीय स्तर पर दक्ष लोग यह काम कर पा रहे हैं। अभी तक 500 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों के साथ कार्य कर चुके अंबिकापुर के प्रभात दुबे द्वारा वरिष्ठ वन अधिकारियों की देखरेख में प्रशिक्षण दिया जाता है।
यहां साल भर रहते हैं हाथी
हाथी पुनर्वास केंद्र में कर्नाटक से लाए गए पांच प्रशिक्षित कुमकी हाथियों के साथ कुल आठ हाथी हैं। यह केंद्र गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है, जहां वर्षभर 70 से 80 हाथियों की मौजूदगी रहती है। इस कारण यहां व्यवहारिक प्रशिक्षण देना ज्यादा असरकारी है।
अभयारण्य क्षेत्र में कब किधर हाथी हैं, इसका अनुमान नहीं रहता। उस परिस्थिति में कुमकी हाथियों के साथ जंगल में जाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
हाथी प्रबंधन के लिए चल रही हैं गतिविधियां
छत्तीसगढ़ में हाथियों के प्रबंधन को लेकर समय-समय पर विशेषज्ञों की सलाह के अनुरूप गतिविधियां संचालित होती रही हैं। हाथियों की कॉलरिंग के दौरान तमिलनाडु से ट्रैकरों को बुलाया जाता था। ये ट्रैकर जंगल के भीतर जाकर हाथियों की लोकेशन और उनके व्यवहार का अध्ययन कर विशेषज्ञ टीम को जानकारी देते थे। फिर ट्रेंक्यूलाइज कर कॉलर आईडी लगाया जाता था।
किसको किसका प्रशिक्षण
रैपिड रिस्पांस टीम : हाथियों के बस्ती के नजदीक आते ही गांववालों के साथ हाथियों की सुरक्षा का कार्य।
हाथी मित्र दल : हाथियों से बचाव को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करने के साथ भीड़ और आपात स्थिति से निपटने का कार्य।
ट्रैकर : जंगल में जाकर हाथियों की निगरानी, उनकी संख्या, मूवमेंट का पता लगाने के साथ ही उनके व्यवहार का अध्ययन कर वन अधिकारी-कर्मचारी तथा प्रभावित क्षेत्र के लोगों को जानकारी देना।
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