छत्तीसगढ़। (Superstition Eradication Committee) अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र (Dinesh Mishra) ने बताया एक परिवार के विगत ४० वर्षों से सामाजिक बहिष्कार का मामला आया है। जिसमें उस समाज के बहिष्कृत परिवार के सत्येंद्र सोनकर एवं सदस्यों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए समिति को जानकारी दी है।
समाज के पदाधिकारियों द्वारा पिछले ४० वर्षों से उन का सामाजिक बहिष्कार कर उन पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गयी है। उक्त परिवार के सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने पर मनाही कर दी गयी है जो कि पीढ़ी दर पीढ़ी जारी है,उनके दादा, फिर माता सहित अन्य सदस्यों की मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार के क्रियाएं भी अकेले करना पड़ा। जिससे उक्त परिवार के सदस्य परेशान हो गए हैं। किसी भी व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार अनुचित और अमानवीय है।
डॉ. मिश्र ने प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को पत्र लिख कर इस मामले में कार्यवाही की मांग की है,तथा सरकार से इस विधानसभा सत्र में सामाजिक बहिष्कार के सम्बंध में सक्षम कानून बनाने के मांग की है।
डॉ. मिश्र ने कहा बहिष्कृत परिवार के सत्येंद्र सोनकर एवं अन्य सदस्यों ने बताया कि उन्होंने समाज के पदाधिकारियों के पास अनेक बार उन्हें वापस समाज में लेने का लिखित निवेदन भी किया है। पर अभी तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। शिकायत भी की है। पर कार्यवाही न होने से सामाजिक पंचों के हौसले बुलंद हैं, उक्त परिवार कमजोर आर्थिक परिस्थिति के हैं। इस प्रकार की प्रताड़ना होने से अपमानित और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
सामाजिक बहिष्कार करना, हुक्का पानी बन्द करना एक सामाजिक अपराध है। यह किसी भी व्यक्ति के संवैधानिक एवम मानवाधिकारों का हनन है। शासन को इस मामले पर कार्यवाही कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की आवश्यकता है। साथ ही सरकार को सामाजिक बहिष्कार के सम्बंध में एक सक्षम कानून बनाना चाहिए। ताकि किसी भी निर्दोष को ऐसी प्रताड़ना से गुजरना न पड़े। किसी
भी व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक रूप से प्रताड़ना देना,उस का समाज से बहिष्कार करना अनैतिक एवम गम्भीर अपराध है। शासन से अपेक्षा है सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सक्षम कानून बनाने की पहल करें। ताकि हजारों बहिष्कृत परिवारों को न केवल न्याय मिल सके बल्कि वे समाज में सम्मानजनक ढंग से रह सकें।