By: डॉ. दानेश्वरी संभाकर
महिलाओं के विकास से ही समाज (social) का विकास संभव है। छत्तीसगढ़ की महिलाएं भी अपने प्रदेश के चहुंमुखी और तेज विकास में पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुई हैं। घर-परिवार की देखभाल में तो महिलाएं अव्वल हैं ही,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, पर्यवेक्षक, महिला समूह सहित अनेक रूपों में महिलाएं राज्य के भविष्य नन्हें-मुन्हें बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण की देखभाल के साथ उन्हें प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने का काम कर रही हैं।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने हमेशा राज्य के विकास में महिलाओं की भूमिका की सराहना की है। वे महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण के पक्षधर हैं। उन्होंने महिलाओं की काबिलियत को समझा और उन्हें हर क्षेत्र में आगे आने का मौका दिया है। उनके नेतृत्व में प्रदेश में महिला शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। वैसे तो पहले से ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की बराबर हिस्सेदारी रही है। खेती-किसानी के कार्यों में यहां की महिलाएं निपुण हैं ही, अब महिलाएं सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर उद्यम एवं व्यवसाय भी तेजी से कदम बढ़ा रही हैं।
प्रदेश में राशन दुकान, कपड़ा दुकान, सिलाई दुकान, श्रृंगार दुकान, होटल, थोक में बड़ी, पापड़, अचार और छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की बिक्री तथा ब्यूटी पार्लर जैसे लाभकारी व्यवसाय उनकेे लिए आत्मनिर्भरता की सीढ़ी बन चुके हैं। छत्तीसगढ़ में शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के संचालन और स्कूलों में मध्यान्ह भोजन तैयार करने का कार्य भी महिलाओं को ही दिया गया है। प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों और मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों के लिए नाश्ता और गर्म पके हुए भोजन तैयार करने का काम भी महिला समूह की महिलाएं कर रही हैं। राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत सीटों में आरक्षण प्रदान कर प्रदेश के विकास में उनकी भूमिका सुनिश्चित कर दी है। कुपोषण मुक्ति अभियान में महिलाओं की सक्रियता से ही आज राज्य में कुपोषण दर में लगातार कमी आ रही है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की वजह से आज भारत देश विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में एक है। प्रधानमंत्री के संकल्प के अनुरूप विकसित भारत के निर्माण में महिलाओं का बराबर का योगदान जरूरी है। इसको ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की महिलाओं की आत्मनिर्भरता एवं स्वावलंबन के लिए पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। महिलाओं के स्वाभिमान और सम्मान के प्रतीक के रूप में महतारी वंदन योजना छत्तीसगढ़ सरकार ने शुरू की है। इससे महिलाओं में एक नया आत्मविश्वास जगा है और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ी है।
महतारी वंदन योजना के तहत राज्य में विवाहित महिलाओं को 1,000 रुपए प्रतिमाह (कुल 12,000 रुपए सालाना) वित्तीय सहायता दी जा रही है, जो प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में जमा की जा रही है। महिलाएं खुश है कि वो महतारी वंदन योजना से मिली राशि से अपने बच्चों और परिवार की छोटी-छोटी जरूरतें पूरी कर पा रहीं हैं।
महिलाएं घर-परिवार की देखभाल, प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अपनी छोटी-मोटी बचत का उपयोग ज्यादातर परिवार और बच्चों के पोषण में खर्च करती हैं। इसके बावजूद भी आर्थिक मामलों में उनकी सहभागिता अभी भी बहुत कम है। इसे देखते हुए राज्य सरकार महिलाओं की आर्थिक सहभागिता बढ़ाने के लिए काम कर रही है। महिलाओं के स्वास्थ्य की बात की जाए तो 2020-21 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के अनुसार 23.10 प्रतिशत महिलाएं मानक बॉडी मास इंडेक्स से कम स्तर पर हैं। 15 से 49 वर्ष के आयु की महिलाओं में एनीमिया का स्तर 60.8 प्रतिशत और गर्भवती महिलाओं में यह 51.8 प्रतिशत है। इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार उनके स्वास्थ्य और सुपोषण को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रही है।
राज्य में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की सरकार ने सरस्वती सायकल योजना को वृहद स्तर पर फिर से शुरू किया गया है। इससे बेटियों को आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहन और मदद मिल रही है। असंगठित क्षेत्र की महिला श्रमिकों को भी निःशुल्क सायकल और सिलाई मशीन वितरित किया जा रहा है। सायकल मिलने से उन्हें कार्यस्थल तक जाने में सुविधा हो रही है, वहीं सिलाई सीखकर वे चाहें तो सिलाई-बुनाई को आमदनी का जरिया बना सकती हैं।
महिलाओं और बालिकाओं की आपातकालीन सहायता के लिए प्रदेश में दूरभाष हेल्पलाइन-1091 की सेवा संचालित है। गर्भवती और शिशुवती महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से स्वादिष्ट और पौष्टिक पूरक पोषण आहार वितरण किया जा रहा है। गरीब परिवार की विवाह योग्य बेटियों के सम्मानपूर्वक विवाह के लिए वर्ष 2005-06 से प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना संचालित है। प्रदेश की महिलाएं राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर आगे बढ़ ही रही हैं। इसके अलावा वे अपनी मेहनत और खुद की योग्यता के बल पर प्रदेश की अर्थव्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था और राज्य के खेल जगत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।