‘नक्सल’ क्षेत्र की ‘नीली क्रांति’ का बजा पूरे देश में ‘डंका’, पढ़ें, बदले तस्वीर की दास्तां
By : madhukar dubey, Last Updated : February 1, 2023 | 9:10 am
मछली पालन से सिर्फ पखांजूर में करीब 500 करोड़ का टर्न ओवर
पखांजूर इलाके में मछली पालन से लगभग पांच हजार से अधिक मत्स्य पालक किसान जुड़े हैं। यहां मछली पालन किस वृहद तौर पर किया जा रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन किसानों के द्वारा मछली बीज, मछलियों के उत्पादन और परिवहन आदि में औसत वार्षिक टर्न ओवर 500 करोड़ रूपए से अधिक का है। इस क्षेत्र में लगभग 19,700 तालाबों, इनमें लगभग 99 प्रतिशत तालाबों में मछली पालन किया जा रहा है।
अकेले मछली बीज से ही किसानों को होती है 125 करोड़ रूपए की आय
इस क्षेत्र के किसानों ने अपनी मेहनत और हुनर तथा शासन की योजनाओं के फलस्वरूप इस क्षेत्र में क्रांति ला दी। इन परिवारों ने स्थानीय कृषकों की मदद से मछली पालन के काम को आगे बढ़ाया। अब यह कार्य पखांजूर विकासखण्ड के आसपास के गांवों में फैल चुका है। यहां मछली उत्पादन के साथ-साथ मत्स्य बीज का भी उत्पादन हो रहा है। यहां से महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों में मछली बीज की सप्लाई की जाती है। अकेले मछली बीज से ही किसानों को करीब 125 करोड़ रूपए की आय होती है।
तीन हजार से अधिक किसान कर रहे हैं मछली पालन
पखांजूर के बड़ेकापसी गांव की कहानी और भी उत्साहवर्धक है, आसपास के 5 गांवों में किसान मछली की सामूहिक खेती कर रहे हैं। इन गांवों में मछली पालन के लिए 1700 तालाब बनाए गए हैं। जिनमें 30 हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता है। गांव के लोग बताते हैं कि अब वे परंपरागत खेती-किसानी का काम छोड़कर लोग अब मछली पालन व्यवसाय की ओर बढ़ रहे हैं, क्योकि कम लागत में अधिक मुनाफे का धंधा है। गांवों के उनके कई खेत अब मछली की खेती के लिए तालाब में बदल गए हैं।
पखांजूर क्षेत्र में क्लस्टर एप्रोच में मछली पालन की यह तकनीक किसानों में लगातार लोकप्रिय होते जा रही है। इन गांवों में लगभग 12 हजार 500 हेक्टेयर का जल क्षेत्र मछली पालन के लिए उपलब्ध है। इसके अलावा यहां 27 हेचरी, 45 प्राक्षेत्र, 1623 पोखर, 1132 हेचरी संवर्धन पोखर उपलब्ध हैं। यहां 72 करोड़ मछली बीज का उत्पादन हो रहा है। इनमें से 64 करोड़ मछली बीज देश के विभिन्न राज्यों को भेजा जाता है।
पखांजूर क्षेत्र में आधुनिक तकनीक से मछली पालन करने से यहां लगभग 51000 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हो रहा है। यहां प्रति हेक्टेयर जल क्षेत्र मत्स्य उत्पादन 8000 में 12000 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन लिया जा रहा है। इसके अलावा यहां 8 करोड़ पगेसियस मत्स्य बीज का उत्पादन भी हो रहा है। पगेसियस मत्स्य बीज केज कल्चर के जरिए मत्स्य पालन के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है।
शासन की विभिन्न योजनाओं से मछली पालन ने पकड़ी रफ्तार
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन एवं केंद्र शासन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं जैसे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और नीली क्रांति, मत्स्य पालन प्रसार योजना से किसानों को बड़ी मदद मिली और मार्गदर्शन भी मिला, जिससे पखांजूर क्षेत्र में मत्स्य पालन के व्यवसाय को रफ्तार मिली। इस कार्य अभी 5 हजार से अधिक मत्स्य कृषक सीधे जुड़े है। किसान बताते है कि नीली क्रांति योजना से मछुवारों को बहुत लाभ हुआ। तकनीकी सहायता के साथ उन्नत तकनीक से मछली पालन के लिए ऋण अनुदान मिलने से मछली पालन का व्यवसाय अब यहां वृहद् आकार ले चुका है।
मछली पालन को कृषि का दर्जाछत्तीसगढ़ शासन के मछली पालन विभाग द्वारा मत्स्य पालक किसानों को केजकल्चर बायोफ्लोक जैसा अत्याधुनिक तकनीक के जरिए मछली पालन के लिए ऋण अनुदान उपलब्ध कराने के साथ ही तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है। मत्स्य पालन को राज्य में खेती का दर्जा भी दिया गया है। इससे किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण, कृषि के समान ही रियायती दर पर विद्युत एवं अन्य सुविधाएं मिल रही हैं। कृषि का दर्जा मिलने से किसानों में उत्साह है।
मछली उत्पादन में छठवें पर और मछली बीज उत्पादन में पांचवें स्थान पर है छत्तीसगढ़
गौरतलब है कि मछली उत्पादन में छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में शुमार है। मछली बीज उत्पादन में पांचवें और मछली उत्पादन में छत्तीसगढ़ का स्थान देश में छठवां है। पिछले चार वर्षों में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के माध्यम से 09 चाइनीज हेचरी तथा 364.92 हेक्टेयर में संवर्धन क्षेत्र निर्मित किया गया है। मत्स्य बीज उत्पादन में 20 प्रतिशत बढ़कर 302 करोड़ स्टेर्ण्डड फ्राई इसी प्रकार मत्स्य उत्पादन 29 प्रतिशत बढ़कर 5.91 लाख टन हो गया है। मछली पालन के लिए 4200 केज जलाशयों में स्थापित किए गए है और मत्स्य कृषकों की भूमि पर 2410 हेक्टेयर में तालाब विकसित किए गए। इसके अलावा 6 फीड मील स्थापित किए गए हैं।