हरेली तिहार: मुख्यमंत्री ने सराहा, बोले- हरेली प्रकृति के प्रति सम्मान का तिहार
By : dineshakula, Last Updated : July 24, 2025 | 4:39 pm
रायपुर: छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक अस्मिता और कृषि परंपराओं का प्रतीक हरेली तिहार इस वर्ष मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) के निवास परिसर में अत्यंत हर्षोल्लास और गरिमा के साथ मनाया गया। यह उत्सव छत्तीसगढ़ की समृद्ध विरासत, पारंपरिक कृषि यंत्रों, लोक परिधानों, खानपान और आधुनिक कृषि तकनीकों के अद्भुत समन्वय का प्रदर्शन करने का अवसर बना। कार्यक्रम स्थल को पारंपरिक छत्तीसगढ़ी रंग-रूप में सजाया गया था, जहां ग्रामीण परिधान पहने हुए अतिथि, कलाकार और आमजन लोक संस्कृति में रमे हुए नजर आए।
आज मुख्यमंत्री निवास म ‘हरेली तिहार’ के सुग्घर मउका म खेती-किसानी ले जुड़े यंत्रमन के प्रदर्सनी के अवलोकन करेंव।
नांगर, रोटावेटर ले लेके बीज ड्रिल, पावर टिलर अउ स्प्रेयर जइसन आधुनिक उपकरनमन तक छत्तीसगढ़ के किसानी तकनीक अब परंपरा के संग नवाचार ले घलाव मजबूत होवत हे। खेती तभे… pic.twitter.com/iRueOT0WAW
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) July 24, 2025
हरेली उत्सव के दौरान मुख्यमंत्री निवास में प्रदर्शित किए गए पारंपरिक और आधुनिक कृषि यंत्र
मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर विभिन्न पारंपरिक यंत्रों और आधुनिक कृषि उपकरणों का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक कृषि यंत्रों जैसे काठा, खुमरी, झांपी, कांसी की डोरी और तुतारी को प्रदर्शित किया गया। इनमें से, काठा वह पारंपरिक मापक है जिससे पुराने समय में धान तौला जाता था; खुमरी बांस और कौड़ियों से बनी एक टोपी है जो छांव प्रदान करती है; झांपी एक बांस से बनी पेटी है जिसे शादी-ब्याह में उपयोग की जाने वाली वस्तुएं रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है; कांसी की डोरी खाट बुनने में काम आती है, और तुतारी एक उपकरण है जिसका उपयोग पशुओं को संभालने में किया जाता है।
इसके अलावा, कृषि विभाग द्वारा आयोजित एक अन्य प्रदर्शनी में आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रदर्शन किया गया, जिसमें नांगर, कुदाली, फावड़ा, रोटावेटर, बीज ड्रिल, पावर टिलर और स्प्रेयर जैसे यंत्र शामिल थे। इन उपकरणों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से परिचित कराया गया।
मुख्यमंत्री का बयान: हरेली तिहार और कृषि जीवन का प्रतीक
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस अवसर पर कहा, “हरेली तिहार केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमारे कृषि जीवन, पशुधन और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है।” उन्होंने प्रदर्शनी के माध्यम से किसानों, युवाओं और आमजन को कृषि तकनीकी प्रगति से अवगत कराते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की खेती परंपरा और तकनीक के समन्वय से राज्य की कृषि उत्पादकता को और अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को नई तकनीकों से परिचित कराकर राज्य की कृषि क्षमता को उच्चतम स्तर पर पहुंचाया जा सकता है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आम नागरिक, किसान, छात्र और जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति और कृषि नवाचार के अद्वितीय संगम को सजीव रूप में प्रस्तुत किया, जो राज्य की समृद्ध परंपरा और विकासशील सोच का प्रतीक है।



