CM ने आरक्षण पर राज्यपाल को चिट्ठी भेजकर पूछा, अब कौन सी अड़चन
By : madhukar dubey, Last Updated : December 29, 2022 | 6:54 pm
स्पष्ट है कि माननीय राज्यपाल भाजपा के इशारे पर आरक्षण विधेयक को रोक रही हैं।
भाजपा ओबीसी आरक्षण के ख़िलाफ़ है और इस फेर में आदिवासियों और अजा व ग़रीबों का आरक्षण भी रुक गया है। pic.twitter.com/p3bYYxoqyH
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) December 29, 2022
सीएम ने कहा कि संविधान में नियम है कि कैबिनेट के स्तर पर राज्य के कार्यों के बारे में प्रशासन सबंधी जानकारी मांगी जाती है देने का नियम है। मंत्रीमंडल तक के लेवल पर ये नियम लागू होता है। लेकिन विधानसभा में प्रस्तुस हुआ बिल, पारित हुआ और सीधा राज्यपाल को भेजा गया । संविधान के अनुछेद २०० के तहत नियम है कि विधायिका में प्रस्तुत किया जाएगा इसके बाद बिल को राज्यपाल को देना है वो अस्वीकृत कर सकता है। अपने पास रख सकता है, राष्ट्रपति को लौटा सकता है। मैं तो ये मैं लगातार कह रहा हूं।
राज्यपाल के लिए मंत्रिमंडल की सलाह मानना बाध्यकारी है पर अफसोस है कि वे इस संवैधानिक व्यवस्था को भी नहीं मान रही हैं।
राज्यपाल अगर जनता की प्रतिनिधि विधानसभा की राय भी नहीं मानतीं तो यह भी असंवैधानिक है। pic.twitter.com/1fWAAwPhgL
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) December 29, 2022
भाजपा हस्ताक्षार की मांग नहीं कर रही
भाजपा के नेताओं के आरक्षण पर लगाए आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा- भाजपा क्याें नहीं मांग नहीं कर रही है कि राज्यपाल हस्ताक्षर करें। प्रदेश में अलग-अलग वर्ग आंदोलन पर आमादा हैं,प्रदेश की शांति व्यवस्था आंदोलन की ओर झोंकने का प्रयास किया जा रहा है। क्या भाजपा नहीं चाहती कि पिछड़े वर्ग को आरक्षण मिले, अनुसूचित वर्ग को आरक्षण मिले। ये पीछे के रास्ते राजभवन पर दबाव डालकर विधेयक को रोक रहे हैं, जबकि सदन में तो सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ था।