रायपुर। जिस कांग्रेस पार्टी (Congress Party) को उनके दादा और पुरुखों ने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में हर कदम में साथ दिया। उस पार्टी से एक पैतृक और रूहानी संबंध होना मंत्री टीएस बाबा (TS Baba) के लिए लाजमी है। यही कारण भी है की अपनी ही पार्टी के तमाम झंझावतों के बावजूद कांग्रेस में बने रहना ही जीवन का मूल लक्ष्य है। इन्हें न पद की लालसा है और न ही सत्ता का लोभ। चाहे इनको अपने कुछ कहे या गैर। इनका तो बस कांग्रेस पार्टी की सेवा करना ही उद्देश्य है। मूल मंत्र बस सिर्फ और सिर्फ जनसेवा करना भर है।
क्योंकि इनके खून में सुरगुजा राजघराने का अंश है। यानी अगर यो कहा जाए सनातन संस्कृति के एक राजा के जो गुण होने चाहिए, वे सब इनमें है। लोभ, मोह व माया से परे राजनीति को उन्होंने सिर्फ जनसेवा के लिए अपनाया। यही वजह है की इनकी छवि कांग्रेस पार्टी में सबसे अलग एक चमकते ध्रुव तारे की तरह है। उन्हें जनता एक कांग्रेसी नेता के बजाय एक सच्चे जनसेवक के रूप में देखती है। कभी कभी इनकी ईमानदारी के चलते अपने और पराए इनकी छवि को धूमिल करने की नाकाम कोशिश करते है। कम से कम प्रदेश की जनता को भी अहसास है की वो कौन लोग हैं। चाहे कुछ भी हो ये किसी विरोध का प्रतिकार नहीं करते।
उन्हें मालूम है विरोध रूपी पानी के बुलबुले कुछ पल में खुद ही शांत हो जाते हैं। ये गुण एक रजवाड़े परिवार के वंशज में ही हो सकते है। सरगुजा ही प्रदेश में इनके प्रति आम आदमी के हृदय में प्रेम और सम्मान है। इसके पीछे कारण है की इनके राज परिवार ने स्वतंत्रता संग्राम के दौर तन मन और धन से सब कुछ अर्पण कर दिया था। इतना ही नहीं, आजादी से पूर्व जब कांग्रेस पार्टी अंग्रजों की खिलाफत कर रही थी, उस समय इनका सरगुजा राज परिवार तमाम अधिवेशन में रसद पानी देश के हर हिस्से में भेजते थे। इतना ही नहीं, इनके सरगुजा क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी आकर वेश बदलकर रहते थे। आइए ऐसी कुछ किस्से टीएस बाबा की जुबानी सुनते है। इन्होंने एक अखबार में अपने इंटरव्यू में बताया था। जिसमें उन्होंने कुछ रोचक बातें बताई। जिससे पता चलता है। देश की आजादी और कांग्रेस पार्टी के उत्थान में राजपरिवार का कितना अमूल्य योगदान था।
हाथियों से कांग्रेस के अधिवेशनों में राज परिवार भेजवता था रसद
वे बताते हैं की जब आजादी के वक्त और उसके बाद कांग्रेस पार्टी के अधिवेशन या चिंतन शिविरों में राज परिवार अपने हाथियों के बेड़े के जरिए रसद यानी खाने पीने की चीजें सरगुजा से भेजे जाते थे। एक समय था की जब लोग चंदा जुटाकर किसी तरह पार्टी का कार्यक्रम करते थे। उस वक्त इनका राज परिवार ऐसे कार्यक्रमों में रसद भेजता था।
सुभाषचंद्र बोस को जब कांग्रेस का नेता चुना गया था
T S बाबा कहते हैं की जब सन 1940 के जबलपुर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में सुभाषचंद्र बोस को पार्टी का नेता चुना गया था। उस दौरान तत्कालीन महाराज ने 54 हाथियों के दल से वहां रसद भेजा था। बिहार के रामपुर के अधिवेशन भी इसी तरह की मदद भेजी गई थी। वैसे ये तो एक उदाहरण के तौर कुछ यादें हैं। जो उस दौर में कैसे कुछ होता था।
जब देश के प्रथम राष्ट्रपति और चंद्रशेखर भी लिए थे सरगुजा में पनाह
वैसे ये परिवार स्वतंत्रता संग्राम में महती भूमिका निभाई थी। लेकिन कुछ ऐसे भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। जिन्होंने भारत की क्रांति को नई ऊंचाई दी। उनमें चंद्रशेखर आजाद भी यहीं छिपकर काफी दिनों तक रहे। इसके अलावा देश के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद भी वेश बदलकर यहां रहे।