रायपुर। जी हां, जब हद हो जाए और जनता जनार्दन की आवाज, ये सिस्टम नहीं सुनता है। तब आखिरकार लोग थक हारकर अपने आंदोलन (protest) को कुछ अनोखा करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। भिलाई में भी कुछ इसी तरह हुआ। यहां तो शराब दुकान (Liquor shop) को सिर्फ स्थानांतरित करने की मांग को लेकर पार्षद पीयूष मिश्रा 86 दिनों से धरने (protest) पर बैठे हैं। लेकिन प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
ऐसे में पार्षद की हिम्मत और जायज मांग के समर्थन में सैकड़ों नागरिक जुटे। लोगों ने एक भैंस लाया, उसको प्रशासन का स्वरूप बनाया। भैंस बोली मैं नहीं, सुनती वह भी जब मेरे हकीम शराब बंदी से मुकरे तो मैं क्यों मान जाऊं।
फिर क्या लोगों ने भैंस को रैली में शामिल कर बीन बजाना शुरू कर किया। अब तो जो भी भैंस के प्रतिकात्मक स्वरूप में प्रशासन को देखता रुक जाता। लेकिन दो मिनट में उसे सब समझ में आ जाता, ये भैंस कौन है। किसी ने कहा, हां, भैया आजकल तो यही अंदाज सिस्टम का ही है। जहां आम लोगों की नहीं, खास लोगों की सुनवाई होती। इस सिस्टम के स्वरूप में लोग सीएम, विधायक का मुखौटा लगाकर चल रहे थे।
भाजपाइयों के मुताबिक, ये इस बात को दर्शा रहा था की हमने शराब बंदी का वादा किए थे, जिसे पूरा नहीं कर पाए। मुझे देख लो, और पहचान लो।
हाल-ए-दस्तूर, इस अंदाज में समझे
खैर, आइए जानते हैं विस्तार से पूरा माजरा क्या है। आखिर क्यों पार्षद जी के साथ आम लोगों भी कदम ताल करने लगे। इनका काफिला नारेबाजी करते हुए, छावनी थाने जा धमका।
एकबारगी खाकी वर्दीधारी भी जन सैलाब को थाने की ओर आते घबरा गए। उनकी सांस में सांस तब आई जब उन्हें मालूम हुआ की सीएम को ज्ञापन देने वालों की टोली है। चूंकि भाजपा पार्षद पीयूष हैं। ऐसे में इस भीड़ को भाजपाई ही कहना मुनासिब है। इन लोगों से बा वर्दी एएसआई ने सीएम के नाम संबोधित लिया। जहां लोगों ने उनको चेतावनी भी दी।
शराब दुकान पर फिर महिलाओं से छेड़खानी हुई और किसी के साथ अभद्र व्यवहार तो थाने के सामने धरना (protest) देंगे। लेकिन शराब दुकान हटाने की मांग को लेकर नागरिकों के साथ धरना जारी रहेगा।इसलिए वे “भैंस के आगे बीन बाजे, भैंस बैठे पगुराय” वाली कहावत को चरितार्थ करते भैंस के आगे बीन बजाकर अनोखा प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी मांग है नंदनी रोड से दुकान हटा दिया जाए।
बोले, गंगा जल लेकर कसम खाने वाले शराब बंदी का वादा भूल गए
मंच से वक्ताओं ने कहा कांग्रेस सरकार को याद दिलाया कि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने गंगा जल लेकर शपथ ली थी कि राज्य में पूर्ण शराब बंदी होगी, लेकिन जीतते ही वो अपनी कसम को भूल गए। उन्होंने शराब बंदी तो दूर और अधिक शराब दुकानें खोलकर उनके बेचने के समय को भी बढ़ा दिया।
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