रायपुर (आईएएनएस)। देश में बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की जिंदगी को कठिन बनाया है और यही कारण है कि भाजपा (BJP) के विरोधी महंगाई को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ‘महंगाई पर मरहम‘ लगाकर मतदाताओं को लुभाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है।
छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जहां विधानसभा का चुनाव इसी साल और लोकसभा का एक साल के भीतर हो जाएंगे। लिहाजा राजनीतिक दलों ने ऐसी रणनीति पर काम शुरू किया है जिसके जरिए वे दोनों ही चुनाव में फतह हासिल कर ले।
कांग्रेस की ओर से लगातार बढ़ती महंगाई को बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है और चुनाव में भी भाजपा को इसी मुद्दे के जरिए घेरने की कोशिश हो रही है। इसके साथ ही कांग्रेस बढ़ती महंगाई से मुश्किल होती जिंदगी को आसान बनाने के लिए कई योजनाएं जमीन पर उतार चुकी है।
राज्य के वर्तमान सियासी मुद्दों पर गौर करें तो भाजपा लगातार कांग्रेस पर राज्य में बढ़ते भ्रष्टाचार और घोटाला के आरोप लगाकर घेरती आ रही है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का आरोप है कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले जो वादे किए थे, वह पूरे नहीं किए, जनता को छलने का काम किया है। बिजली बिल हाफ के वादे पर कांग्रेस सत्ता में आई थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं, बल्कि उसने जनता के साथ पाप किया है। भाजपा की ओर से गोठान में भी घोटाले के आरोप लगाए जा रहे हैं।
भाजपा लगातार कांग्रेस पर आरोप लगा रही है तो कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव में अपनी जमीन को मजबूत करने की अभी से कवायद तेज कर दी है। यही कारण है कि कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में किन मुद्दों को शामिल किया जाना है इसके लिए बैठकों का सिलसिला भी शुरू कर दिया है।
कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार को महंगाई के मुद्दे पर घेर रही है तो वहीं राज्य में सरकार महंगाई के घाव पर मरहम लगाने का रास्ता भी खोज रही है।
राज्य सरकार के मंत्री अकबर मोहम्मद की अध्यक्षता में बनाई गई कांग्रेस घोषणा पत्र की समिति आने वाले चुनाव में मतदाताओं को 200 की जगह 250 से 300 यूनिट तक बिजली बिल हाफ करने की घोषणा कर सकती है, गैस पर सब्सिडी दे सकती है, गरीब आवासीय पट्टे दिए जा सकते हैं। इसके अलावा वर्तमान में गोबर दो रुपये किलो खरीदा जा रहा है, उसे पांच रुपये किलो तक कर सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव दोनों ही बड़े रोचक रहने वाले हैं। यहां मुकाबला पूरी तरह केंद्र सरकार बनाम राज्य सरकार रहने वाला है। भाजपा जहां केंद्र सरकार की गरीब कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं को मुद्दा बना रही है, वहीं कांग्रेस महंगाई पर अपनी ओर से लगाए जा रहे मरहम के साथ छत्तीसगढ़ी अस्मिता को बड़ा मुद्दा बनाकर चल रही है।
कांग्रेस ने तो प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की कार्रवाइयों को भी मुद्दा बनाया है। कुल मिलाकर दोनों राजनीतिक दलों के लिए लोकसभा से पहले होने वाले विधानसभा चुनाव के बड़े मायने रहने वाले हैं।
राज्य विधानसभा की दलगत स्थिति पर गौर करें तो 90 सदस्यों वाले सदन में कांग्रेस के 71, भाजपा के 13 जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के तीन, बहुजन समाज पार्टी के दो विधायक हैं और एक स्थान रिक्त है।
वहीं लोकसभा की 11 सीटों में से नौ पर भाजपा का कब्जा है और दो पर कांग्रेस के सांसद हैं। दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों की कोशिश है कि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में बढ़त बनाए। इसी के चलते दोनों राजनीतिक दल एक दूसरे पर हमला करने का केाई भी मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे।