महिलाओं ने गढ़ दिया छत्तीसगढ़ का पहला रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क, पढि़ए कैसे बजा डंका

By : hashtagu, Last Updated : November 3, 2022 | 4:51 pm

कुलगांव में दिख रही बापू के सपनों की झलक, एक ही स्थान पर 12 आजीविका के साधन

छत्तीसगढ़/ रायपुर। कहते हैं कि जहां की भागौलिक परिवेश विषमताओं से भरी हो और साथ ही समाज का वो तबका जो आज भी पिछड़ेपन का दंश झेल रहा हो। इन झंझावतों के बावजूद अगर कुछ अनूठा काम हो जाए तो शायद यह किसी बड़ी कामयाबी से कम नहीं आंका जा सकता है। शहरों में तो उद्योग धंधों की कमी तो नहीं है और न ही रोजगार की लेकिन खास तौर पर वनांचल क्षेत्रों में ठीक उलट हालात है। लेकिन इधर बीच प्रदेश सरकार की सहायता से अब आदिवासी समाज के लोग अपनी किस्मत गढ़ने में लगे हैं। जहां इनके सफलता के डंके की गूंज सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश में सुनाई देने लगी है। हम बात कर रहे है कि छत्तीसगढ़ के पहले रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क। यह पार्क कांकेर जिले कुलगांव में है। यहां छत्तीसगढ़ में गौठनों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित करने की परिकल्पना अब धीरे-धीरे आकार लेने लगी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के अनुरुप गांवों में छोटे-छोटे कुटीर उद्योग स्थापित कर लोगों को रोजगार और आमदनी के साधन से जोड़ा जा रहा है।

रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के गांव को दिया गया गांधी ग्राम नाम

छत्तीसगढ़ के ऐसे पहले रूरल इंडस्ट्रियल पार्क ने कांकेर जिले के कुलगांव में आकार ले लिया है, जिसे गांधी ग्राम का नाम दिया गया है, वहां गौठान को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित करने का काम जिला प्रशासन कांकेर ने महिला स्वसहायता समूह के साथ बखूबी कर दिखाया है। यहां छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों के लिए जरुरी अधोसंरचना विकसित की गई है और ग्रामीणों को जोड़कर उत्पादन का काम भी प्रारंभ हो चुका है। इस पार्क में 13 से अधिक आजीविका सम्बन्धी गतिविधियाँ संचालित की जा रही है। जिसमें महिला स्व-सहायता समूहों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। कुलगांव में वन विभाग ने ग्रामीणों के लिए लघु वनोपजों के वेल्यू एडिशन पर आधारित आवासीय प्रशिक्षण केंद्र भी शुरू किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल में ही भेंट-मुलाकात अभियान के दौरान कुलगांव गांधीग्राम में छत्तीसगढ़ के प्रथम रूरल इंडस्ट्रियल पार्क का लोकार्पण किया।

50 लाख रुपये के लोन की सहायता सरकार ने की

वन विभाग ने इंदिरा वन मितान समूह कुलगांव को गांधीग्राम ग्रामीण औद्योगिक पार्क की स्थापना के लिए चक्रीय निधी से ५० लाख रूपए का लोन दिया था। मुख्यमंत्री ने लोकार्पण के अवसर पर इस रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की संकल्पना और स्वरूप तथा यहां आर्थिक गतिविधियों के सफल संचालन को देखते हुए समूह के लोन को माफ करने की घोषणा की।

लघु वनोपज के वल्यू एडिशन से रोजगार के अवसर

छत्तीसगढ़ के पहले रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क में गांधी जी के ग्राम स्वराज की झलक देखने को मिल रही है। राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाने की पहल अब रंग ला रही है। राज्य के अन्य गौठानों को भी इसी तरह विकसित करने की योजना है। मुख्यमंत्री का मानना है कि गांवों की अर्थव्यस्था को मजबूत करके ही हम राज्य की अर्थ व्यवस्था को आगे बढ़ा सकते हैं। सरकार का पूरा ध्यान खेती-किसानी और गांव के लोगों को आर्थिक उत्पादन से जोड़ने पर है। गांव के उत्पाद का वेल्यूएडिशन कर लोगों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि और उद्यानिकी उपजों के साथ ही लघुवनोपजों के वेल्यू एडिशन से रोजगार ने नए अवसरों का सृजन हो रहा है।

यहां इन क्षेत्रों में राेजगार के अवसर हुए पैदा

डारमेंट्री, रेसीडेंसियल रूम, किचन के अलावा गांधी ग्राम कुलगांव परिसर में कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से मछली आहार बनाने की इकाई, मशरूम उत्पादन, स्पान उत्पादन की इकाईयां स्थापित की गई है। इसके अलावा यहां मछलीपालन, बकरी पालन, मुर्गीपालन और वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया जा रहा है। ये सभी कार्य स्थानीय स्व सहायता समूह के लोगों के द्वारा किए जा रहे हैं।

मूलभूत सुविधाओं का संजाल, सीएम ने माफ कर दिया लोन

गांधी ग्राम के इस गौठान में बनाए गए रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के लिए अधोसंरचना भी विकसित की गई है। इनमें इंटरलॉकिंग, सीसी रोड, डारमेंट्री, रेसीडेंसियल रूम, किचन हॉल, महिला स्व-सहायता समूह के कार्यशाला के लिए शेड का निर्माण, चबूतरा निर्माण, प्रशिक्षण कक्ष का निर्माण किया गया है। भूमिगत सिंचाई पाईपलाइन भी बिछाई गई है, अलंकृत उद्यान तैयार किया जा रहा है। यहां वन विभाग द्वारा लघु वनोपजों के प्रसंस्करण और वेल्यू एडिशन के लिए आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र भी प्रारंभ किया गया है। इंदिरा वन मितान समूह को भी 50 लाख रुपए का ऋण दिया गया है। मुख्यमंत्री ने समूह के काम काज को देखते हुए इस ऋण को माफ करने की घोषणा भी कर दी है।

मुर्गीपालन और अंडा पालन के अलावा ये वस्तुओं को भी कर रहे तैयार

मुर्गीपालन और अंडा उत्पादन का काम आधुनिक तरीके से किया जा रहा है। यहां महिला समूह द्वारा लेयरफार्मिंगवअण्डा उत्पादन हो रहा है। अभी यहां उत्पादन प्रारंभिक स्थिति में है इसकी खपत भी आंगनबाडियों में हो जा रही है। इससे शीतला समूह को ५० हजार रूपए की आमदनी हुई है। यहां मछली आहार तैयार करने की इकाई में प्रतिदिन लगभग 8 क्विंटल आहार का निर्माण किया जा रहा है। पूजा समूह की महिलाएं इस इकाई का संचालन कर रही हैं। अब तक 18 क्विंटल आहार के विक्रय से 60 हजार की आमदनी समूह को हुई है। पूजा स्वसहायता समूह द्वारा यहां रागीआंटा तैयार किया जा रहा है। इसे पूरक पांेषण आहार के जरिए बच्चों को खिलाया जा रहा है।

मशरूम एवं स्पॉन उत्पादन में भी आगे

एकीकृत राष्ट्रीय बागवानी विकास मिशन अंतर्गत मशरूम उत्पादन एवं स्पॉन उत्पादन इकाई का निर्माण किया गया है, जिसका क्रियान्वयन लक्ष्मी स्व सहायता समूह कुलगांव द्वारा किया जा रहा है समूह द्वारा अब तक 40 कि.ग्रा. मशरूम उत्पादन कर स्थानीय ब्रिकी कर 8000 रुपए की आमदनी प्राप्त की गई है।

दाल मिल एवं मसाला उद्योग

कृषि विभाग द्वारा दाल मिल एवं मसाला उद्योग स्थापित किया गया है। जिसका संचालन जय सरस्वती महिला समूह के सदस्यों द्वारा की जा रही है। अब तक मूंग दाल 80 किलो, उड़द 70 किलो तैयार कर 17 हजार में विक्रय किया गया है। मसाला उद्योग में हल्दी, धनिया, मिर्च पाउडर तैयार कर 75000 किलोग्राम मसलों का विक्रय किया गया है। इसी प्रकार मिनी राईस मिल में 26000 रुपये की धान कुटाई किया गया है।

गोधन न्याय योजना में 3 क्विंटल गोबर की खरीदी

गोबर खरीदी-कुलगांव में गोधन न्याय योजना के तहत 273 क्विंटल 85 किलो ग्राम गोबर का खरीदी किया गया है। इस गौठान में अब तक 70 बोरीेवर्मी कंपोस्ट तैयार किया गया है।

दोना पत्तल बनाने में भी आगे

दोना-पत्तल निर्माण इकाई- इस इकाई को डीएमएफ मद से अप्रैल 2022 में प्रारंभ किया गया था। जिसका संचालन कुलगाँव की जय बूढ़ादेव स्वसहायता समूह की १० महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। इस यूनिट की स्थापित क्षमता 9600 पत्तल प्रतिदिन की है।

कोदो-कुटकी की भी खरीदी की गई

यहां महिला स्वसहायता समूह द्वारा 30 हजार रुपये का कोदो-कुटकी की खरीदी भी की गई थी। कोदो चावल भी तैयार किया जा रहा है। समूह द्वारा वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के साथ बाजार में होटल संचालन भी किया जाता है। कुलगांव में स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा ढेंकी से चावल निकालने का काम भी किया जा रहा है। ढेंकी के चावल में चावल की गुणवत्ता सुरक्षित रहती है।

हथकरघा और चिरौंजी में भी महारत

हथकरघा वस्त्र प्रशिक्षण केंद्र-यहां बनाए गए हथकरघा वस्त्र प्रशिक्षण केंद्र में महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। साथ ही यहां बकरीपालन आदि की गतिविधि भी की जा रही है। कुलगांव में चिरौंजी प्रसंस्करण केंद्र भी स्थापित किया गया है।