अब श्रमिकों के बच्चे पढ़ेंगे महंगे स्कूलों में, अटल योजना से मिलेगा मुफ्त दाखिला
By : dineshakula, Last Updated : September 10, 2025 | 12:46 pm
By : dineshakula, Last Updated : September 10, 2025 | 12:46 pm
रायपुर: छत्तीसगढ़ में अब मजदूर के बच्चे भी महंगे और नामचीन निजी स्कूलों में पढ़ सकेंगे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) ने राजधानी रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय में ‘अटल उत्कृष्ट शिक्षा योजना’ का शुभारंभ करते हुए यह ऐलान किया कि अब राज्य के श्रमिक परिवारों के होनहार बच्चों को भी वही सुविधाएं मिलेंगी जो आज तक सिर्फ अमीरों के बच्चों को नसीब थीं। इस योजना के तहत श्रम विभाग उनके शिक्षा का पूरा खर्च उठाएगा।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि मजदूर समाज के लिए दिन-रात खपता है लेकिन अपने बच्चों की शिक्षा पर उतना ध्यान नहीं दे पाता। उसके पास न समय होता है, न संसाधन। पर उसके भी सपने होते हैं कि उसका बच्चा डॉक्टर, इंजीनियर, अफसर या नेता बने। इसी सपने को पूरा करने के लिए ‘अटल उत्कृष्ट शिक्षा योजना’ शुरू की गई है।
योजना के तहत राज्य के चयनित श्रमिक बच्चों को छठवीं से बारहवीं तक प्रदेश के प्रतिष्ठित 14 निजी आवासीय स्कूलों में दाखिला दिलाया जाएगा। इन स्कूलों में सीबीएसई और आईसीएसई जैसे राष्ट्रीय स्तर के पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं। सरकार का लक्ष्य है कि इन बच्चों को सर्वश्रेष्ठ माहौल और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए ताकि वे भी प्रतियोगिता में किसी से पीछे न रहें।
इस वर्ष योजना के पहले चरण में 100 बच्चों को दाखिला दिया गया है, जबकि अगले सत्र से यह संख्या 200 की जाएगी। श्रम मंत्री लखन देवांगन ने जानकारी दी कि श्रमिक बच्चों के लिए निःशुल्क कोचिंग योजना भी चलाई जा रही है, जिससे भविष्य में इन बच्चों का चयन आईएएस, आईपीएस और अन्य सेवाओं में हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार की सोच है कि श्रमिक का बच्चा सिर्फ श्रमिक न रहे, बल्कि अधिकारी बने और देश का भविष्य गढ़े।
कार्यक्रम में शामिल श्रमिकों और उनके बच्चों ने योजना को अपने जीवन का turning point बताया। उनका कहना था कि उनके लिए यह सपना जैसा है, जो अब सच हो गया। मुख्यमंत्री ने भी इसे “एक सपना जो अब साकार हुआ” बताते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी का हिस्सा है और छत्तीसगढ़ सरकार इसे पूरे संकल्प के साथ लागू कर रही है।
राज्य में 30 लाख से अधिक पंजीकृत श्रमिक हैं, जिनमें से अधिकांश आर्थिक रूप से महंगे स्कूलों की फीस नहीं उठा सकते थे। श्रमिक कल्याण मंडल के अध्यक्ष डॉ. रामप्रताप सिंह ने कहा कि इस योजना से अब वे बच्चे भी आगे बढ़ सकेंगे जिन्हें अब तक शिक्षा के बेहतर अवसर नहीं मिल पाते थे। उन्होंने इसे अटल जी के सपनों को आगे बढ़ाने वाला कदम बताया।
श्रम विभाग के अनुसार, वर्तमान में विभाग के तीन मंडलों के अंतर्गत 70 से अधिक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। बीते 20 महीनों में सरकार ने लगभग 600 करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से श्रमिकों तक पहुंचाए हैं। अब शिक्षा के क्षेत्र में यह पहल, श्रमिक कल्याण की दिशा में एक बड़ा बदलाव लाने की उम्मीद रखती है।
इस योजना से न केवल बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा, बल्कि सामाजिक समरसता और अवसर की समानता की दिशा में यह एक ठोस कदम साबित हो सकता है।