जयंती विशेष: पंचम दा सिर्फ संगीत के जादूगर नहीं, एक संवेदनशील इंसान भी थे
By : dineshakula, Last Updated : June 26, 2025 | 8:51 pm

मुंबई : 27 जून को जन्मे बॉलीवुड के संगीत सम्राट राहुल देव बर्मन (Rahul Dev Burman) , यानी ‘पंचम दा’, केवल एक महान संगीतकार ही नहीं थे, बल्कि एक बेहद मिलनसार और संवेदनशील इंसान भी थे। उन्होंने न केवल संगीत की धुनों में नयापन लाया, बल्कि अपने आत्मीय व्यवहार से भी हर किसी को प्रभावित किया।
अभिनेता सचिन पिलगांवकर ने एक बार ‘पंचम दा’ के साथ जुड़ा दिल को छू लेने वाला किस्सा साझा किया था। उन्होंने बताया कि जब वह पहली बार फिल्म ‘बालिका वधू’ के लिए पंचम दा से मिलने गए, तो थोड़ा घबराए हुए थे। लेकिन पंचम दा ने मुस्कुराते हुए कहा,
“मैं तुमसे कभी नाराज़ नहीं हो सकता, क्योंकि तुम्हारा और मेरे पिताजी का नाम एक ही है।”
इस बात ने सचिन की घबराहट दूर कर दी।
सचिन ने बताया कि पंचम दा ने उन्हें अपने घर के कंपाउंड में बुलाकर उनके बोलने और चलने के तरीके पर ध्यान दिया। फिर उन्होंने बिना किसी औपचारिकता के ‘बड़े अच्छे लगते हैं…’ जैसी एक खूबसूरत धुन गुनगुनाई। सचिन के लिए यह पल हमेशा के लिए यादगार बन गया।
27 जून 1939 को कोलकाता में जन्मे आर.डी. बर्मन बचपन से ही संगीत में डूबे रहते थे। उन्होंने अपने पिता सचिन देव बर्मन के साथ-साथ उस्ताद अली अकबर खान, पंडित समता प्रसाद और सलिल चौधरी जैसे दिग्गजों से संगीत सीखा।
आर.डी. बर्मन ने 1961 में फिल्म ‘सोलवा साल’ से अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन 1966 में ‘तीसरी मंजिल’ से उन्हें असली पहचान मिली। इसके बाद उन्होंने ‘पड़ोसन’, ‘यादों की बारात’, ‘दीवार’, ‘शोले’, ‘आंधी’, ‘खुशबू’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में संगीत देकर बॉलीवुड की धुनों को हमेशा के लिए बदल दिया।
पंचम दा ने क्लासिकल से लेकर फ्यूजन, पॉप और वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट्स को भारतीय संगीत में इस तरह जोड़ा कि उनकी धुनें आज भी हर पीढ़ी को झूमने पर मजबूर कर देती हैं।
उनकी जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहना गलत नहीं होगा कि – संगीत तो बहुतों ने रचा, लेकिन आत्मा से धुनों में जान सिर्फ पंचम दा ने डाली।