आईएएनएस समीक्षा: ‘छतरीवाली’ में सेक्स एजुकेशन के बीच कॉमेडी ने खोया अपना रास्ता
By : madhukar dubey, Last Updated : January 20, 2023 | 5:31 pm
ऐसे विषय पर सबसे पहले ‘विक्की डोनर’ आई और फिल्म काफी सफल रही। एक के बाद एक विषयों पर फिल्में आने लगीं। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन पर ‘शुभ मंगल सावधान’, मासिक धर्म स्वच्छता पर ‘पैडमैन’ और लैंगिक विविधता पर ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ जैसे कुछ नाम हैं।
फिल्म ‘छतरीवाली’ में सुरक्षित यौन संबंध के बारें में बताया गया है क्योंकि आज भी इस विषय पर खुलकर बात नहीं की जाती है।
करनाल, हरियाणा में सेट, फिल्म सान्या ढींगरा (रकुल) के बारे में है, जो एक बेरोजगार केमिस्ट्री विशेषज्ञ है और नौकरी की तलाश में है और युवाओं के लिए यौन शिक्षा कक्षाएं लेकर महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे से लड़ने के लिए अपने कौशल का उपयोग करती है।
ऐसी फिल्मों के साथ परेशानी यह है कि फिल्म निर्माताओं को वास्तव में यह नहीं पता होता है कि इसे कॉमेडी बनाना है या शैक्षिक संदेश देना है।
इसमें मुख्य किरदार निभाने वाली रकुल के घरवालों, प्रेमी और ससुराल वालों को यह नहीं पता होता है कि वह कंडोम बनाने वाली फैक्ट्री में काम करती है, तो निश्चित रूप से ऐसे में उसके साथ बहुत सारी समस्याएं हैं।
कुछ महीने पहले ही एक और फिल्म ‘जनहित में जारी’ में नुसरत बरूचा ने ऐसा ही किरदार निभाया था। एक ²श्य में जहां उसकी जेठानी (प्राची शाह) कई गर्भपात के कारण बीमार पड़ जाती है, और उसमें अपने पति (राजेश तैलंग) से एक शब्द भी कहने की हिम्मत नहीं होती है। वह पढ़ा-लिखा लगता है लेकिन जब बात अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करने की आती है तो उसके पास अपना रास्ता होता है। फिल्म अधिकांश मध्यवर्गीय परिवारों में विवाहित महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार को लेकर भी है। यदि आप छुट्टी पर हैं और आपके पास करने के लिए बेहतर कुछ नहीं है, तो आप दो घंटे से कम समय के इस सामाजिक/पारिवारिक नाटक को देख सकते हैं।