2033 तक दुनिया भर में 3.15 मिलियन हो जाएंगे पार्किंसन बीमारी के मामले : रिपोर्ट
By : hashtagu, Last Updated : November 18, 2024 | 5:04 pm
डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडाटा की रिपोर्ट से पता चला है कि मस्तिष्क की इस बीमारी के मामलों की व्यापकता में वृद्धि विशेष रूप से सात प्रमुख देशों अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, ब्रिटेन और जापान में देखी जाएगी।
इसमें दिखाया गया है कि अमेरिका में पार्किंसन के सबसे अधिक निदान किए गए प्रचलित मामले (1.24 मिलियन) होने का अनुमान है। लगभग 0.16 मिलियन मामलों के साथ इटली में सबसे कम संख्या होगी।
ग्लोबलडाटा के वरिष्ठ महामारी विज्ञानी राहुल एन रवि ने कहा, “2023 में 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्कों में पीडी के निदान किए गए प्रचलित मामलों का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा होगा, जबकि 18-39 वर्ष की आयु के वयस्कों में 1 प्रतिशत से भी कम हिस्सा होगा।”
पता लगाए गए मामलों में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की संख्या थोड़ी अधिक है। पार्किंसंस एक लाइलाज न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है जिसे चिकित्सकीय रूप से एक आंदोलन विकार के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिसमें कंपन, मांसपेशियों में कठोरता जैसे प्रमुख लक्षण होते हैं। यह अल्जाइमर रोग के बाद बुजुर्गों में दूसरा सबसे आम क्रॉनिक न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग है।
यद्यपि वर्तमान उपचार केवल इसके लक्षणों से राहत प्रदान करते हैं, लेकिन बीमारी प्रगति को रोकने या धीमा करने के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है।
रवि ने कहा, “पार्किंसंस बुजुर्ग आबादी को प्रभावित करने वाले सबसे आम क्रोनिक, प्रगतिशील न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों में से एक है। चूंकि पीडी मुख्य रूप से वृद्ध वयस्कों को प्रभावित करता है, इसलिए बढ़ती उम्रदराज आबादी वाले देशों को पार्किंसन से पीड़ित व्यक्तियों की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रणनीति विकसित करनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि आने वाले 10 वर्षों में सबसे अधिक जोखिम वाले सात देश अपनी वृद्ध होती आबादी के कारण पीडी उपचार के लिए महत्वपूर्ण हो जाएंगे। आने वाले 10 वर्षों में सात प्रमुख देशों अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, ब्रिटेन और जापान में सबसे अधिक इस बीमारी का खतरा है।
–आईएएनएस
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