बार-बार आंख मलना पड़ सकता है भारी, जा सकती है रोशनी
By : hashtagu, Last Updated : August 27, 2025 | 6:00 am
नई दिल्ली।आंखें (eyes) केवल देखने का जरिया नहीं होतीं, बल्कि ये हमारी भावनाओं का भी आइना होती हैं। जब हम थक जाते हैं, उदास होते हैं या नींद से भर जाते हैं, तो आंखें खुद-ब-खुद अपनी भाषा बोलने लगती हैं। ऐसे समय में अक्सर लोग आंखों में जलन, खुजली या थकावट के कारण उन्हें बार-बार मलने लगते हैं। हालांकि यह आदत उस वक्त थोड़ी राहत जरूर देती है, लेकिन यह आंखों के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकती है।
बार-बार आंखें मलना हो सकता है खतरनाक
यह आदत धीरे-धीरे आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकती है। खासकर बच्चों, युवाओं और उन लोगों में यह ज्यादा देखने को मिलती है जो लंबे समय तक कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन के सामने रहते हैं।
संक्रमण का बढ़ता खतरा
अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिसर्च के अनुसार, बार-बार आंखें मलने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। हमारे हाथ दिनभर कई सतहों को छूते हैं — जैसे मोबाइल, दरवाजे, सार्वजनिक वस्तुएं — जिन पर बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। जब हम बिना हाथ धोए आंख मलते हैं, तो ये बैक्टीरिया आंखों तक पहुंच जाते हैं। इससे आंखों में जलन, लालिमा, पानी आना, कंजक्टिवाइटिस (आंख आना) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
कॉर्निया पर असर और कॉर्नियल एब्रेशन
आंख की सतह यानी कॉर्निया बहुत नाजुक होती है। आंखों को जोर से या बार-बार मलने से इस पर छोटे-छोटे घाव या खरोंच आ सकते हैं, जिन्हें ‘कॉर्नियल एब्रेशन’ कहा जाता है। इससे आंखों में दर्द, धुंधलापन, जलन और रोशनी में दिक्कत हो सकती है। समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर संक्रमण का रूप ले सकता है।
ग्लूकोमा का खतरा
आंख मलने से आंखों में दबाव बढ़ता है, जिससे ग्लूकोमा जैसी गंभीर बीमारी का खतरा होता है। यह बीमारी आंखों की ऑप्टिक नर्व को धीरे-धीरे खराब करती है और समय पर इलाज न मिलने पर दृष्टि स्थायी रूप से जा सकती है।
डार्क सर्कल और झुर्रियां
आंखों के आसपास की त्वचा बेहद पतली होती है। बार-बार मलने से यहां की रक्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, जिससे डार्क सर्कल गहरे हो जाते हैं और झुर्रियां जल्दी आने लगती हैं। यह आदत आंखों की सेहत ही नहीं, चेहरे की सुंदरता को भी प्रभावित करती है।
चश्मे का नंबर बढ़ने का खतरा
अगर पहले से चश्मा है या आंखों में कोई दिक्कत है, तो आंख मलने से यह समस्या और बढ़ सकती है। बार-बार रगड़ने से कॉर्निया का आकार बदल सकता है, जिससे चश्मे का नंबर तेजी से बढ़ता है। इसके अलावा, यह आदत कराटोकोनस जैसी गंभीर स्थिति को जन्म दे सकती है, जिसमें कॉर्निया पतला होकर शंकु आकार का हो जाता है और सब कुछ धुंधला दिखने लगता है।


