90-30 झपकी का फॉर्मूला रात की शिफ्ट में काम करने वालों में उनींदापन से निपटने में मददगार : अध्ययन

By : hashtagu, Last Updated : September 16, 2023 | 9:15 pm

टोक्यो, 16 सितंबर (आईएएनएस)। एक नए अध्ययन खुलासा हुआ है कि रात की ड्यूटी के दौरान 120 मिनट की झपकी (nap) की तुलना में 90 मिनट की झपकी और उसके बाद 30 मिनट की झपकी उनींदापन और थकान को दूर करने में अधिक प्रभावी है।

साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में 2012 से 2018 तक रात की शिफ्ट में झपकी पर किए गए पायलट स्टडी के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया।

हिरोशिमा विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बायोमेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज में नर्सिंग विज्ञान के प्रोफेसर, अध्ययन की एकमात्र लेखक सनाई ओरियामा ने कहा, ”लंबी अवधि के प्रदर्शन को बनाए रखने के लिए 90 मिनट की झपकी और कम थकान के स्तर व तेज़ प्रतिक्रियाओं को बनाए रखने के लिए 30 मिनट की झपकी, झपकी के रणनीतिक संयोजन के रूप में सुबह की कार्यकुशलता और सुरक्षा के लिए मूल्यवान हो सकती है।”

ओरियामा ने झपकी लेने के बाद और शाम 4 बजे से सुबह 9 बजे की शिफ्ट के दौरान सतर्कता और प्रदर्शन की तुलना करने के लिए पिछले पायलट अध्ययनों की दोबारा जांच की। उन्होंने पाया कि आधी रात को समाप्त होने वाली 120 मिनट की झपकी से उनींदापन का अनुभव और भी बदतर हो गया।

हालांकि, दो झपकी- 90 मिनट की झपकी, आधी रात तक चलने वाली और 30 मिनट की झपकी, जो सुबह 3 बजे समाप्त होती है, यह उनींदापन से बचाती है।

ओरियामा ने कहा, “मैं काम के प्रकार और दिन के समय के आधार पर कई झपकियों को संयोजित करने में सक्षम होना चाहती हूं, और ऐसी झपकियां चुनना चाहती हूं जो उनींदापन, थकान को कम करने और प्रदर्शन को बनाए रखने में प्रभावी हों।”

उदाहरण के लिए, रात की शिफ्ट, जो शाम 4 बजे से अगली सुबह 9 बजे तक चलती है, 90 मिनट और 30 मिनट की एक विभाजित झपकी, जो क्रमश: 12 बजे और 3 बजे समाप्त होती है, 120 मिनट की मोनोफैसिक झपकी की तुलना में अधिक प्रभावी मानी जाती है, जो 12 बजे समाप्त होती है।

दिलचस्प बात यह है कि जिन लोगों को 90 मिनट की झपकी के दौरान सोने में अधिक समय लगा, उन्हें उचिडा-क्रैपेलिन परीक्षण (यूकेटी) में खराब अंक मिले, जो एक समयबद्ध बुनियादी गणित परीक्षा है, जिसका उद्देश्य किसी कार्य को करने में गति और सटीकता को मापना है।

ओरियामा ने कहा कि निष्कर्ष नए माता-पिता के लिए भी मददगार हो सकते हैं। ओरियामा ने कहा, “इस अध्ययन के नतीजों को न केवल रात की शिफ्ट में काम करने वालों पर लागू किया जा सकता है, बल्कि शिशुओं को पालने वाली माताओं में नींद की कमी की थकान को कम करने के लिए भी लागू किया जा सकता है।”