गणेश विसर्जन 2025: विसर्जन से पहले करें ये उपाय, बप्पा की कृपा और पूजन का पूर्ण फल मिलेगा

गणपति विसर्जन से पहले उन्हें पूरे श्रद्धा और विधि-विधान से पूजना आवश्यक होता है। बप्पा को लाल फूल, सिंदूर, नारियल, मोदक, मोतीचूर के लड्डू और गन्ना जैसे प्रिय भोग अर्पित करें।

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  • Publish Date - September 6, 2025 / 12:48 PM IST

गणेश विसर्जन (Ganesh Immersion) का पर्व, 10 दिनी गणेश उत्सव की पूर्णता का प्रतीक होता है। आज अनंत चतुर्दशी के दिन भक्तजन अपने आराध्य गणपति बप्पा को भावभीनी विदाई देने की तैयारी में जुटे हैं। कुछ लोगों ने डेढ़, तीन, पांच या सात दिन की पूजा के बाद पहले ही विसर्जन कर दिया है, लेकिन जो भक्त आज बप्पा को विदा कर रहे हैं, उनके लिए पूजा और विसर्जन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों का पालन करना अत्यंत शुभ फलदायक माना गया है।

विसर्जन से पहले पूजा की विधि

गणपति विसर्जन से पहले उन्हें पूरे श्रद्धा और विधि-विधान से पूजना आवश्यक होता है। बप्पा को लाल फूल, सिंदूर, नारियल, मोदक, मोतीचूर के लड्डू और गन्ना जैसे प्रिय भोग अर्पित करें। यह न केवल पूजा को पूर्णता देता है बल्कि भगवान गणेश की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। पूजा के बाद ये प्रसाद सभी को वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।

विसर्जन के समय उच्चारित करें यह मंत्र

जब गणपति बप्पा को जल में विसर्जित करने के लिए ले जाएं, तो जयकारों के साथ ‘ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्। इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनरपि पुनरागमनाय च।’ मंत्र का जाप करें। यह मंत्र गणेश जी से निवेदन है कि वे आपकी पूजा को स्वीकार करें और अगले वर्ष पुनः पधारें। यदि मंत्र बोलना कठिन हो, तो मन ही मन उन्हें ससम्मान विदा कर पुनः आगमन की प्रार्थना कर सकते हैं।

विसर्जन कैसे करें

बप्पा की प्रतिमा को जल में विसर्जित करते समय उन्हें आदरपूर्वक धीरे-धीरे प्रवाहित करें। उन्हें दूर से फेंकना या किसी अशुद्ध जल स्रोत में विसर्जित करना अशुभ माना जाता है। विसर्जन स्थल पवित्र और शांत होना चाहिए, जहां कोई अपमान की आशंका न हो।

कलश और नारियल का उपयोग

पूजा में रखे कलश का जल पूरे घर में छिड़कें। यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर शुभता और सकारात्मकता का संचार करता है। पूजा में अर्पित नारियल को फोड़कर प्रसाद के रूप में सभी में बांटें। इससे पूजा का पुण्य सभी को प्राप्त होता है।

गणेश विसर्जन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि भावनाओं से जुड़ा एक अत्यंत पवित्र क्षण है। यह समय है धन्यवाद का, आभार का और अगली बार फिर बप्पा के आगमन की आशा का। यदि इन नियमों और भावनाओं का पालन किया जाए, तो निश्चित ही गणपति जी की कृपा जीवन में बनी रहती है।