Hanuman Puja: तंत्र साधना की सिद्धि के लिए पंचमुखी हनुमान जी पूजा का महत्व

हनुमानजी के इस रूप में प्रकट होने के बाद ही रामायण का एक अद्भुत दृश्य निर्मित होता है। यहां जानें कि कैसे अंजनेय स्वामी ने अपने 5 मुख वाले रुद्रावतार में राम की सेना की रक्षा की।

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  • Publish Date - October 11, 2024 / 12:34 PM IST

पंचमुखी हनुमान (Panchmukhi Hanuman) ने दुष्टों का संहार करने के लिए यह रूप धारण किया था। लेकिन तांत्रिक विद्या में पंचमुखी हनुमानजी की पूजा सबसे अधिक क्यों की जाती है? इसके पीछे की कहानी क्या है? पंचमुखी हनुमानजी का पांच मुख वाला स्वरूप हनुमानजी के उग्र रूप के रूप में जाना जाता है। हनुमानजी के इस रूप में प्रकट होने के बाद ही रामायण का एक अद्भुत दृश्य निर्मित होता है। यहां जानें कि कैसे अंजनेय स्वामी ने अपने 5 मुख वाले रुद्रावतार में राम की सेना की रक्षा की।

  1. अहिरावण ने की थी रावण की मदद: कृति वासा रामायण के अनुसार, जब श्रीराम और रावण के बीच युद्ध चल रहा था, तब रावण ने देखा कि उसकी सेना श्रीराम की सेना से हार रही है। अपनी सेना की दुविधा को देखकर, रावण अपने भाई अहिरावण के पास सहायता मांगने गया। अहिरावण मां भवानी का भक्त और तंत्र विद्या में माहिर था। उसने अपनी जादुई शक्तियों का उपयोग करके भगवान राम की सेना को गहरी नींद में डाल दिया और भगवान राम और लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक में ले गया।
  2. अहिरावण को मिला वरदान: भगवान हनुमान श्रीराम और लक्ष्मण की मदद के लिए मौके पर पहुंचे। अंजनेय स्वामी और अहिरावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। हनुमानजी ने अपनी पूरी शक्ति से अहिरावण का सामना किया, लेकिन अहिरावण अपनी तंत्र शक्ति से बार-बार हार रहा था। एक लंबी लड़ाई के बाद, भगवान हनुमान ने रावण को पांच दिशाओं में पांच दीपक जलाते हुए देखा। अहिरावण को अपनी मां भवानी से मिला वरदान था कि जो कोई भी एक साथ 5 दिशाओं के दीपक तोड़ देगा, उसमें अहिरावण को मारने की शक्ति आ जाएगी। यह जानकर हनुमानजी ने पंचमुखी रूप धारण किया। इसलिए तंत्र सिद्धि के लिए पंचमुखी हनुमान की पूजा आवश्यक है।
  3. भगवान अंजनेय के 5 मुख: हनुमानजी के 5 मुखों में से एक पंचमुखी, उत्तर में वरमुख, दक्षिण में नरसिम्हा, पश्चिम में गरुड़, और पूर्व में हनुमान हैं। सभी ने एक साथ पांच दिशाओं की पांच बत्तियां जलाईं। इसके बाद अहिरावण का संहार हुआ।
  4. पंचमुखी हनुमानजी का महत्व: भारत के विभिन्न हिस्सों में पंचमुखी हनुमानजी के कई मंदिर हैं और ऐसा माना जाता है कि सिद्धि प्राप्त करने के लिए अक्सर हनुमानजी के इस रूप की पूजा की जाती है। लेकिन भगवान पंचमुखी अंजनेय की पूजा करना कोई आसान काम नहीं है। हनुमान का यह रूप तंत्र विद्या से जुड़ा है, और विद्या नरवा तंत्र जैसी कई तांत्रिक प्रथाओं में इस रूप के महत्व को अलग-अलग तरीकों से समझाया गया है। आज भी पंचमुखी हनुमान मंदिरों में हनुमान की पूजा तांत्रिक तरीकों से की जाती है।