निर्जला एकादशी 2025: दो दिन रखा जाएगा व्रत, 32 घंटे का कठिन उपवास और मोक्ष की कामना

By : dineshakula, Last Updated : May 20, 2025 | 12:10 pm

हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) में निर्जला एकादशी को सबसे कठिन और पुण्यदायक एकादशी माना जाता है। 2025 में यह एकादशी दो दिन—6 और 7 जून को मनाई जाएगी, जिसमें पहले दिन स्मार्त और दूसरे दिन वैष्णव व्रत रखा जाएगा। व्रत रखने वालों को इस बार 32 घंटे से अधिक समय तक जल-अन्न का त्याग करना होगा।

इस विशेष दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रती पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए उपवास रखते हैं। मान्यता है कि यह एक व्रत साल भर की सभी 24 एकादशियों के समान फल देता है। इसीलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि महाभारत के भीम ने इसी एकादशी के व्रत को अपनाया था।

व्रत का शुभारंभ 6 जून को तड़के 2:15 बजे से होगा और 7 जून को सुबह 4:47 बजे तक इसकी तिथि रहेगी। पारण यानी व्रत खोलने का समय स्मार्त व्रत के लिए 7 जून को दोपहर 1:44 से 4:31 तक और वैष्णव व्रत के लिए 8 जून को सुबह 5:23 से 7:17 तक रहेगा।

इस दिन व्रतियों को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए, हरिनाम का जाप, विष्णु सहस्रनाम का पाठ और जरूरतमंदों को दान करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।

निर्जला एकादशी सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आत्मिक और मानसिक शुद्धि का भी मार्ग है। यह संयम, श्रद्धा और भक्ति की परीक्षा है, जिसे निभाने से आत्मिक संतोष और मोक्ष की ओर एक कदम बढ़ता है।