परिवर्तिनी एकादशी 2025 व्रत कथा और पूजा विधि
By : hashtagu, Last Updated : September 3, 2025 | 11:51 am
Parivartini Ekadashi: परिवर्तिनी एकादशी हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन भगवान का व्रत रखकर उनकी आराधना की जाती है।
साल 2025 में, यह पर्व 3 सितंबर को मनाया जाएगा।
परिवर्तिनी एकादशी 2025: तिथि और पारणा समय
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एकादशी प्रारंभ: 3 सितंबर 2025, सुबह 3:53 बजे
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एकादशी समाप्त: 4 सितंबर 2025, सुबह 4:21 बजे
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हरिवासर समाप्ति: 4 सितंबर 2025, सुबह 10:18 बजे
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पारणा (व्रत खोलने का समय): 4 सितंबर 2025, दोपहर 1:36 बजे से शाम 4:07 बजे तक
व्रत कथा:
हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह कथा सुनाई थी।
कथा के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। कहा जाता है कि परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा करने का फल प्राप्त होता है।
इस दिन भगवान विष्णु के दो स्वरूप बताए गए हैं — एक जो शेषनाग पर विराजमान हैं और दूसरा जो राजा बली के साथ हैं। इस व्रत के दौरान चाँदी, चावल, दही आदि दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है।
पूजन और व्रत के नियम
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सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें।
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घर या मंदिर में स्वच्छता करें और पूजा की तैयारी करें।
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भगवान विष्णु को जल अर्पित करें, पंचामृत, तुलसी के पत्ते और गंगा जल से अभिषेक करें।
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चंदन और पीले फूल अर्पित करें।
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दीपक (घी का दीप) जलाएं।
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व्रत रखकर भगवान को गुड़, चने, किशमिश, सात्विक खीर, फल और मेवे चढ़ाएं।
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आरती करते हुए निम्न मंत्र जपें:
“ॐ नमो नारायणाय, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ विष्णवे नमः” -
यदि संभव हो तो रात्रि जागरण करें।
महत्व
परिवर्तिनी एकादशी व्रत से अहंकार और गर्व त्यागने की सीख मिलती है। दान देने के बाद कभी गर्व नहीं करना चाहिए, यही इस व्रत का संदेश है।