नई दिल्ली: AIIMS हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड से प्रशिक्षित गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ सौरभ सेठी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि टॉयलेट में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना सिर्फ समय की बर्बादी नहीं बल्कि पाचन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। उन्होंने इसके पीछे सात कारण बताए हैं और लोगों को सचेत रहने की सलाह दी है।
1. बवासीर का खतरा 46 प्रतिशत तक बढ़ता है
टॉयलेट में फोन का इस्तेमाल करने वालों में बवासीर होने की संभावना 46 प्रतिशत अधिक पाई गई है। यह जोखिम उम्र वजन फाइबर सेवन या एक्सरसाइज की आदतों से स्वतंत्र है।
2. टॉयलेट में बहुत ज्यादा देर तक बैठे रहना
स्मार्टफोन यूजर्स आमतौर पर एक विजिट में पांच मिनट से ज्यादा टॉयलेट में बैठते हैं जबकि नॉन यूजर्स में यह आंकड़ा सिर्फ सात प्रतिशत है। ज्यादा देर बैठने से गुदा क्षेत्र में दबाव बढ़ता है।
3. जितना ज्यादा समय टॉयलेट में बिताएंगे उतना ज्यादा खतरा
पांच मिनट से अधिक समय तक टॉयलेट में बैठना जोर लगाने की तुलना में भी ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है।
4. टॉयलेट सीट पेल्विक फ्लोर को सपोर्ट नहीं देती
कुर्सी या सोफा के उलट टॉयलेट सीट पेल्विक फ्लोर को कोई सहारा नहीं देती जिससे बवासीर के कुशन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
5. मोबाइल ऐप्स ध्यान भटकाते हैं
सोशल मीडिया और न्यूज ऐप्स दिमाग को इस तरह व्यस्त कर देते हैं कि समय का अंदाजा नहीं रहता जिससे टॉयलेट में अनावश्यक रूप से ज्यादा समय बीतता है।
6. बवासीर एक आम लेकिन खर्चीली बीमारी है
करीब 50 से 66 प्रतिशत लोग जीवन में कभी न कभी बवासीर से पीड़ित होते हैं। अकेले अमेरिका में इस बीमारी के कारण हर साल चार मिलियन मेडिकल विजिट होती हैं और आठ सौ मिलियन डॉलर खर्च होते हैं।
7. टॉयलेट का समय पांच मिनट से कम रखें
डॉ सेठी की सलाह है कि टॉयलेट में समय पांच मिनट से अधिक न हो। एक सरल नियम के तौर पर दो शॉर्ट वीडियो या रील से ज्यादा न देखें।
नोट
यह रिपोर्ट एक सोशल मीडिया पोस्ट पर आधारित है। HT.com ने इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं की है और न ही इनका समर्थन करता है।
