इंदौर के बाद अब जबलपुर में भी अस्पताल में चूहों का हमला, दो मरीजों के पैर कुतरे

इस वार्ड को फिलहाल मानसिक रोग विभाग से शिफ्ट कर अस्थायी रूप से हड्डी रोग विभाग की इमारत में चलाया जा रहा है, जहां मरम्मत कार्य की वजह से अव्यवस्था फैली हुई है.

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  • Publish Date - September 16, 2025 / 05:02 PM IST

जबलपुर: मध्यप्रदेश में सरकारी अस्पतालों (govt hospital) की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है. इंदौर में दो नवजात बच्चों की मौत के बाद अब जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से भी चूहों द्वारा मरीजों को काटने का मामला सामने आया है. यहां मानसिक रोग विभाग के वार्ड में भर्ती दो मरीजों के पैरों को चूहों ने बुरी तरह कुतर डाला.

घटना तब सामने आई जब परिजनों ने हंगामा किया और आरोप लगाया कि अस्पताल स्टाफ ने पहले शिकायत के बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया. मरीज के बेटे ने बताया कि उसकी मां इलाज के लिए अस्पताल लाई गई थीं, लेकिन अब उनके पैरों की हालत चूहों की वजह से खराब हो गई है. वार्ड में चूहों का आतंक दिन-रात बना हुआ है और शिकायत करने पर नर्स सिर्फ इंजेक्शन लगाने की सलाह देती हैं.

इस वार्ड को फिलहाल मानसिक रोग विभाग से शिफ्ट कर अस्थायी रूप से हड्डी रोग विभाग की इमारत में चलाया जा रहा है, जहां मरम्मत कार्य की वजह से अव्यवस्था फैली हुई है. यहीं पहली मंजिल पर चूहों ने दो मरीजों को निशाना बनाया. एक महिला मरीज को लगातार दो दिन तक परेशान किया गया, जबकि एक अन्य मरीज की एड़ियों को बुरी तरह काटा गया.

मामला मीडिया और परिजनों के विरोध के बाद सामने आया, तब अस्पताल प्रशासन हरकत में आया. डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने माना कि दो मरीजों को चूहों ने काटा, लेकिन उन्होंने दावा किया कि तुरंत इलाज हुआ और अब दोनों को छुट्टी दे दी गई है. साथ ही उन्होंने जांच और पेस्ट कंट्रोल के आदेश देने की बात भी कही.

हालांकि सवाल यह उठता है कि अगर व्यवस्था पहले से होती तो ऐसी घटना होती ही क्यों. यह घटना एक बार फिर इंदौर के एमवाय अस्पताल की याद दिलाती है, जहां चूहों के काटने से दो मासूमों की मौत हो गई थी. हाईकोर्ट ने तब सरकार से जवाब मांगा था, लेकिन अब जबलपुर की घटना से लगता है कि सरकार और प्रशासन ने कोई सबक नहीं सीखा.

जब प्रदेश के बड़े अस्पतालों में मरीज चूहों से सुरक्षित नहीं हैं, तो छोटे जिलों और कस्बों में क्या हालात होंगे, ये सोचना भी डराता है. क्या इन घटनाओं पर सख्त एक्शन होगा, जिम्मेदारी तय होगी और पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे या फिर अगली खबर किसी और शहर से आएगी, इसका जवाब जनता जानना चाहती है.