दिग्विजय सिंह के लिए राजगढ़ में अपनी पकड़ साबित करने की चुनौती

मध्य प्रदेश के राजगढ़ संसदीय क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के मैदान में उतरने पर यह सीट हाई प्रोफाइल हो गई है।

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  • Publish Date - March 24, 2024 / 02:45 PM IST

राजगढ़, 24 मार्च (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के राजगढ़ संसदीय क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Former Chief Minister Digvijay Singh) के मैदान में उतरने पर यह सीट हाई प्रोफाइल हो गई है। यह चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री के लिए भी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के लिए जिन 12 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की है, उसमें दिग्विजय सिंह का भी नाम है और उन्हें राजगढ़ से उम्मीदवार (Candidate from Rajgarh) बनाया गया है।

  • दिग्विजय सिंह इस संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीते भी हैं और हारे भी हैं। इस क्षेत्र को दिग्विजय परिवार का गढ़ माना जाता है। यहां अब तक हुए कुल 19 चुनाव हुए हैं, जिनमें दिग्विजय और उनके परिवार के सदस्य सात बार निर्वाचित हुए हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री की बात करें तो वो दो बार यहां से चुनाव जीते, वहीं उन्हें एक बार हारना भी पड़ा है।

  • इसके अलावा उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह भी पांच बार सांसद रहे, जिसमें चार बार कांग्रेस के टिकट से और एक बार भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर।
  • पूर्व मुख्यमंत्री का यहां मुकाबला भाजपा के रोडमल नागर से है जो बीते दो चुनाव से जीतते आ रहे हैं और यह जीत का अंतर चार लाख वोट से अधिक तक रहा है।
  • यह संसदीय क्षेत्र तीन जिले — राजगढ़ के अलावा गुना और आगर मालवा तक फैला हुआ है, जिसमें कुल आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं, इनमें से दो पर कांग्रेस का कब्जा है और शेष छह पर भाजपा काबिज है।
  • पूर्व मुख्यमंत्री की रियासत राघौगढ़ से उनके बेटे जयवर्धन सिंह विधायक हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजगढ़ का चुनाव जहां दिग्विजय सिंह की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है, वहीं भाजपा के लिए भी आसान नहीं होगा। यह बात अलग है कि पिछले विधानसभा चुनाव में राघौगढ़ विधानसभा में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह बहुत कम वोट के अंतर से जीते थे। इसके साथ ही इतना जरूर है कि लोकसभा चुनाव लड़ने के कारण दिग्विजय सिंह राज्य के अन्य हिस्सों में ज्यादा सक्रिय नहीं रह पाएंगे। सिंह ने चुनाव प्रचार की कमान उम्मीदवारी घोषित होने के पहले ही संभाल ली थी और दौरे भी शुरू कर दिए हैं। वे कार्यकर्ताओं के बीच पहुंच रहे हैं और अपनी उम्र का जिक्र करने से भी पीछे नहीं रह रहे। वे कार्यकर्ताओं को बता रहे हैं कि उनकी उम्र 77 साल हो गई है और कार्यकर्ताओं को ही यह चुनाव लड़ना होगा। वहीं यह क्षेत्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रभाव वाला है। कुल मिलाकर यहां मुकाबला रोचक होगा।

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