संघर्ष से वर्ल्ड कप तक: मध्यप्रदेश की क्रांति गौड़ को एक करोड़ का इनाम, सीएम यादव बोले– बेटियों ने रचा इतिहास

By : dineshakula, Last Updated : November 3, 2025 | 5:08 pm

भोपाल: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की वर्ल्ड कप (world cup) जीत ने पूरे देश को गौरवान्वित कर दिया है। इस ऐतिहासिक जीत में मध्यप्रदेश की बेटी क्रांति गौड़ ने भी अहम भूमिका निभाई। उनके शानदार प्रदर्शन से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उन्हें एक करोड़ रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की है।

सीएम यादव ने कहा, “बीती रात हमारी बेटियों ने इतिहास रच दिया। भारत की नारी शक्ति ने दिखा दिया कि मेहनत और हौसले से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। प्रदेश की बेटी क्रांति गौड़ ने टीम में शामिल होकर हमें गर्व का अवसर दिया है। राज्य सरकार की ओर से उन्हें एक करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।”

घुवारा गांव से वर्ल्ड कप की ऊंचाइयों तक

छतरपुर ज़िले के छोटे से गांव घुवारा की रहने वाली क्रांति गौड़ आज भारत की वर्ल्ड कप विजेता टीम की सदस्य हैं। लेकिन इस सफलता के पीछे वर्षों का संघर्ष, त्याग और अथक मेहनत की कहानी छिपी है। कभी बिना जूतों के ऊबड़-खाबड़ ज़मीन पर नंगे पैर क्रिकेट खेलने वाली क्रांति, आज विश्व क्रिकेट के मंच पर चमक रही हैं।

आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली क्रांति ने शुरुआत में गांव के लड़कों के साथ टेनिस बॉल क्रिकेट खेला। समाज के विरोध और पारिवारिक सीमाओं के बावजूद उन्होंने खेलना नहीं छोड़ा। धीरे-धीरे छोटे टूर्नामेंट से लेकर जिला और राज्य स्तर तक पहुंचीं।

14 साल की उम्र में थामी लेदर बॉल

क्रांति ने 14 साल की उम्र में पहली बार लेदर बॉल से खेलना शुरू किया। अपनी तेज़ गेंदबाजी से उन्होंने जल्दी ही पहचान बना ली। साल 2017 में नौगांव में हुए Inter-State Tournament में सागर टीम की एक खिलाड़ी के बीमार पड़ने पर उन्हें मौका मिला। उन्होंने मौके को भुनाते हुए 25 रन बनाए और 2 विकेट लेकर Player of the Match बनीं। यही मैच उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

जब मां ने गहने बेचकर भेजा खेलने

क्रांति का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। पिता पुलिस विभाग में थे, लेकिन कुछ कारणों से उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी। घर में छह भाई-बहनों में सबसे छोटी क्रांति के लिए क्रिकेट जारी रखना आसान नहीं था। कई बार तो मैच फीस और ट्रेनिंग के खर्च के लिए भी पैसे नहीं होते थे।

क्रांति बताती हैं, “एक बार मेरी मां ने अपने गहने बेच दिए ताकि मैं टूर्नामेंट खेलने जा सकूं। उस दिन मैंने ठान लिया था कि एक दिन अपनी मां को गर्व महसूस कराऊंगी।”

आज वही क्रांति गौड़ भारत की विश्व विजेता महिला क्रिकेट टीम का हिस्सा हैं। उनका यह सफर न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश की बेटियों के लिए प्रेरणा बन गया है।