भोपाल, 2 अप्रैल (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में जब भी कांग्रेस (Congress) की एकजुटता की बात होती है तो डबरा सम्मेलन (dabra conference) चर्चा में आ ही जाता है। अब एक बार फिर लगभग तीन दशक बाद उस सम्मेलन की याद कांग्रेस जनों के बीच ताजा हो गई। मौका था खरगोन के सरवर देवला में आयोजित राज्य स्तरीय सहकारिता औश्र किसान सम्मेलन। यह ऐसा आयोजन था जिसमें गुटों में पहचानी जाने वाली कांग्रेस निर्गुट नजर आई। राज्य की सियासत में सहकारिता और किसान आंदोलन के पुरोधा के तौर पर सुभाष यादव को याद किया जाता है। उनकी बीते रोज जयंती थी और इस मौके पर सरवर देवला में यादव की मूर्ति का अनावरण हुआ और सम्मेलन भी। इस आयोजन में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, प्रदेश प्रभारी जे पी अग्रवाल, नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी सहित तमाम बड़े चेहरे एक साथ नजर आए। इतना ही नहीं कई विधायक भी इस आयोजन में हिस्सा लेने पहुंचे।
सरवर देवला का यह मंच लगभग तीन दशक पहले डबरा में माधवराव सिंधिया की अगुवाई में हुआ सम्मेलन की याद दिलाने वाला रहा। डबरा के मंच पर उस दौर के तमाम बड़े दिग्गज मौजूद थे और उन्होंने कांग्रेस की सत्ता में वापसी की रणनीति भी बनाई थी। ठीक वैसा ही नजारा सरवर देवला में देखने को मिला जहां कांग्रेस पूरी तरह एकजुट दिखी। वर्ष 1993 के चुनाव में कांग्रेस सत्ता में लौटी भी थी, कांग्रेस की इस सफलता का श्रेय डबरा सम्मेलन को दिया जाता है। कांग्रेसी इस बात की उम्मीद लगा रहे हैं कि सरवर देवला का सम्मेलन भी पार्टी के लिए इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में डबरा सम्मेलन साबित होगा।
खरगोन जिला मालवा निमाड़ का हिस्सा है और यहां से पिछले दिनों राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी निकली थी। इस यात्रा में राज्य की राजनीति के पिछड़े वर्ग के चेहरे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने अहम जिम्मेदारी का निर्वहन किया था। सुभाष यादव के पुत्र हैं अरुण यादव, साथ ही उनके छोटे भाई सचिन यादव विधायक हैं। डबरा के सम्मेलन में जो भूमिका माधवराव सिंधिया ने निभाई थी लगभग वैसी ही भूमिका सरवर देवला के सम्मेलन में अरुण यादव की रही है।
सियासी तौर पर डबरा और सरवर देवला की समानता खोजी जा रही हो, मगर दोनों में एक रिश्ता तो है ही और वह है गन्ना किसानों से जुड़ा हुआ। डबरा की पहचान भी शुगर मिल के कारण है तो सरवर देवला की पहचान शक्कर कारखाने से है। हर कांग्रेसी यह आस लगाए बैठा है कि जो मिठास डबरा के सम्मेलन ने कांग्रेसियों के बीच घुली थी वह मिठास सरवर देवला से भी घुल जाएगी।