मप्र में भाजपा संगठन के तेवर तल्ख, विधायकों पर नजर

By : hashtagu, Last Updated : April 28, 2023 | 12:06 pm

भोपाल, 28 अप्रैल | मध्य प्रदेश में जमीनी स्तर से आ रहे फीड बैक ने भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की चिंता बढ़ा दी है। इसकी बड़ी वजह विधायकों के प्रति जनता में नाराजगी और कार्यकर्ताओं से संवाद न रखना है। यही कारण है कि अब संगठन के तेवर तल्ख हो चले हैं। विधायकों को भी हिदायतें दी जा रही हैं और पार्टी के जमीनी स्तर से इन विधायकों की कार्यशैली और कार्यप्रणाली का ब्यौरा भी तलब किया जाने वाला है। भाजपा ने बीते रोज राजधानी में बूथ विजय संकल्प अभियान के तहत राज्य स्तरीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और संगठन मंत्री हितानंद के अलावा कई बड़े नेता मौजूद थे। इस बैठक में कई विधायकों के कामकाज पर तमाम बड़े नेताओं ने सवाल उठाए और यहां तक कहा कि कई विधायक संगठन के कामकाज में किसी तरह की रुचि नहीं ले रहे हैं।

भाजपा संगठन लगातार जमीनी स्तर पर मजबूती और बेहतर जमावट के लिए प्रयासरत है, यही कारण है कि बूथ विस्तारक अभियान के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने सड़क मार्ग से ही पूरे प्रदेश को नाप दिया था। इस दौरान भी कई जगह से शिकायतें आई थी कि विधायक और सांसद द्वारा संगठन के कामकाज में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली जा रही है।

बीते कुछ दिनों में सत्ता और संगठन के पास जो फीड बैक आ रहा है वह अगले चुनाव में बड़ी चुनौती के संकेत दे रहा है। यही कारण है कि लगातार विधायकों और सांसदों के कामकाज पर नजर रखी जा रही है। पार्टी के पास जो रिपोर्ट आई है वह विधायकों और प्रभारी मंत्रियों को लेकर जनता ही नहीं पार्टी कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी है। निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की सिर्फ कार्यकर्ता ही नहीं आम लोगों से भी दूरी बनी हुई है और इस स्थिति का सरकारी मशीनरी लाभ भी उठा रही है और वह स्थानीय नेताओं के काम में दिलचस्पी नहीं लेती।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि एक तरफ विधायक, सांसद और प्रभारी मंत्री जहां जनता से सीधा संवाद नहीं करते तो वही उनका कार्यकर्ताओं से जुड़ाव नहीं है, इसके अलावा सरकारी मशीनरी स्थानीय कार्यकर्ताओं को महत्व नहीं दे रही, जिसके चलते कार्यकर्ताओं में निराशा है और वे ज्यादा सक्रिय भी नहीं है।

इन स्थितियों से संगठन और सत्ता से जुड़े लोग वाकिफ हैं। यही कारण है कि आने वाले दिन निष्क्रिय विधायकों के लिए अच्छे नहीं रहेंगे। ऐसा इसलिए कि विधायकों की रिपोर्ट जमीनी कार्यकर्ता से मंगाई जो जा रही हैं। इतना ही नही कर्नाटक के चुनावी नतीजों के बाद केंद्रीय नेतृत्व का भी सारा फोकस राज्य पर रहने वाला है।(आईएएनएस)