मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में दिखी भाजपा संगठन की ताकत
By : hashtagu, Last Updated : December 4, 2023 | 12:35 pm
इस बार के चुनाव में संगठन की जमीनी जमावट से लेकर प्रत्याशी चयन में हिस्सेदारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गरीब कल्याण अभियान को जन-जन तक पहुंचाने में संगठन की अहम् भूमिका रही है।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा ज्यादा ही सजग और सतर्क थी। पार्टी ने पिछले चुनाव में मिली हार के बाद संगठन में बड़ा बदलाव किया और नए चेहरे के तौर पर विष्णु दत्त शर्मा को कमान सौंपी।
शर्मा बीते लगभग चार साल से भाजपा के संगठन मुखिया हैं और उन्होंने जमीनी स्तर पर भी पार्टी को मजबूत करने के लिए न केवल रणनीति बनाई, बल्कि खुद भी भोपाल की बजाय छोटे शहरों और गांव में घूमते नजर आए।
भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने जब शर्मा को प्रदेश की कमान सौंपी तो कई तरह के सवाल उठे थे और कहा यही जा रहा था कि पार्टी को सही रास्ते पर चलाए रखना उनके लिए मुश्किल भरा होगा। मगर वक्त गुजरने के साथ शर्मा ने राष्ट्रीय नेतृत्व की मर्जी के अनुसार और राज्य की जरूरत के मुताबिक अभियान छेड़ा।
पार्टी का बूथ विस्तारित अभियान तो दूसरे राज्यों के लिए नजीर बन गया। शर्मा की कार्यशैली की तुलना कुशाभाऊ ठाकरे के कामकाज के तरीके से की जाने लगी। संपर्क और संवाद कुशाभाऊ ठाकरे की बड़ी ताकत था और इसी राह पर शर्मा भी चले।
शुरुआत में शर्मा को वरिष्ठ नेताओं का सहयोग नहीं मिला और उन्होंने या तो घर बैठना उचित समझा अथवा विरोध के रास्ते भी चुने। इसके बावजूद संगठन की गाड़ी अपनी पटरी पर रफ्तार पकड़ने लगी। शर्मा के अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी के खाते में एक बड़ी उपलब्धि आई — सरकार बनने की। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था।
इतना ही नहीं, भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद उपचुनाव में भी भाजपा को बंपर जीत मिली। तभी से शर्मा को पार्टी के तमाम नेता शुभांकर कहने लगे।
अब विधानसभा के चुनाव हुए हैं और उसमें भी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि इस बार के चुनाव में उम्मीद से कहीं ज्यादा पार्टी को जनता का साथ मिला है। इसके पीछे केंद्र सरकार की नीतियां, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रणनीति बड़ा कारण रही है। मगर राज्य में जमीन तक इन सब चीजों को ले जाने में संगठन ने बड़ी भूमिका का निर्वहन किया। यह बात अलग है कि कुछ लोग नाराज रहे, मगर संगठन अपनी राह से डिगा नहीं। इसका नतीजा आज हम सबके सामने हैं। पार्टी ने विधानसभा चुनाव में नए चेहरों को भरपूर मौका दिया और पुराने भी मैदान में उतारे गए। कुल मिलाकर समन्वय की सियासत इन चुनाव में साफ नजर आई।