मध्यप्रदेश के जंगलों में पैदल गश्त कर होती है बाघों की सुरक्षा

बाघों की सुरक्षा को लेकर मध्यप्रदेश के जंगलों में फॉरेस्ट गार्ड पैदल गस्त करते हैं। समय-समय पर वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें शामिल

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  • Publish Date - July 29, 2024 / 07:18 PM IST

मध्यप्रदेश, 29 जुलाई (आईएएनएस)। बाघों की सुरक्षा को लेकर मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के जंगलों में फॉरेस्ट गार्ड पैदल गस्त करते हैं। समय-समय पर वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें शामिल होते हैं। सोमवार को देश भर में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International tiger day) मनाया गया। इस दिवस को मनाने का मकसद, लोगों को बाघों के संरक्षण के संबंध में जागरूक करना है। इस मौके पर खास तौर पर बच्चों में बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए देश भर के चिड़ियाघरों में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाती हैं। साल 2010 में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी।

मध्यप्रदेश वन विभाग के अधिकारी ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर आईएएनएस से खास बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने मध्यप्रदेश के जंगलों में बाघों के संरक्षण के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा वन क्षेत्र है। हमारे यहां वनों का प्रबंधन बहुत अच्छा रहा है। भारत के 20 प्रतिशत बाघ मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि हर चार साल पर ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन होता है, इसमें मध्यप्रदेश लगातार दूसरी बार पहले पायदान पर आया है।

वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि बाघों के सरंक्षण के लिए फॉरेस्ट गार्ड के साथ वन अधिकारी भी पैदल जंगलों में चलते हैं, जहां-जहां बाघ जाता है, वहां पैदल चलना जरूरी है।

बाघ का शिकार, फंदे से या फिर जहर से होता है। अगर बाघों को सुरक्षा प्रदान करना है, तो गाड़ी से घूमने से यह नहीं होगा। गाड़ी कहीं जल्दी पहुंचने के लिए एक साधन है। लेकिन, बाघों की असली सुरक्षा तो पैदल चलने से ही होगी। हमारे यहां पैदल गश्त पर विशेष तौर पर जोर दिया जाता है। सिर्फ फॉरेस्ट गार्ड की ही नहीं, समय-समय पर वन अधिकारी भी गश्त करते हैं। इससे सिर्फ बाघ ही नहीं, सभी जानवरों की सुरक्षा होती है। इससे जंगल की भी सुरक्षा होती है।