भोपाल। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ग्राम स्वराज की अवधारणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में मूर्त रूप ले रही है। प्रदेश के गांव आत्म-निर्भर स्वायत्त इकाई के रूप में विकसित हो रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें से अनेक की कमान महिलाओं के हाथ में है। प्रदेश में महिलाओं के 4 लाख से अधिक स्व-सहायता समूह हैं। इनसे जुड़े 45 लाख से अधिक परिवार विभिन्न गतिविधियों से न केवल अपने परिवारों को आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर बना रहे हैं, अपितु महिलाएं भी सामाजिक रूप से सशक्त हो रही हैं।
प्रदेश की 23 हजार 12 ग्राम पंचायत, 313 जनपद पंचायत और 52 जिला पंचायत के लिये हुए निर्वाचन में 630 सरपंच, 157 जनपद सदस्य और एक जिला पंचायत सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हुए थे, जिनमें 415 महिला सरपंच हैं। विगत वर्षों में पंचायतों द्वारा स्वयं की आय के कर एवं गैर-कर राजस्व के स्रोतों को प्रभावी रूप से क्रियान्वित करते हुए स्वयं की आय के रूप में लगभग 181 करोड़ रुपए अर्जित किये गये हैं। साथ ही पंचायतें नवाचार में भी आगे हैं। सूर्य शक्ति अभियान में पंचायतों की विद्युत खपत को सौर ऊर्जा पर अंतरित किया जा रहा है। इससे पंचायतें अतिरिक्त वित्तीय संसाधन भी जुटा सकेंगी।
मुख्यमंत्री चौहान द्वारा प्रदेश के लिये तैयार किये गये आत्म-निर्भरता के रोडमेप पर कार्य करते हुए हमारा विभाग (पंचायत एवं ग्रामीण विकास) ग्रामीण क्षेत्रों को आत्म-निर्भर बनाने की दिशा में तेज गति से काम कर रहा है। ग्रामों में न केवल अधो-संरचना विकास, बुनियादी सुविधाएँ, रोजगार, स्वच्छता के क्षेत्र में निरंतर कार्य हो रहे हैं, अपितु प्रत्येक परिवार को पक्का आवास भी सुनिश्चित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना में विद्यार्थियों को पौष्टिक आहार दिलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में इस वित्त वर्ष में 152 करोड़ रुपए की लागत से प्रदेश में 125 अमृत सरोवर बनाये जा रहे हैं।
प्रदेश में महात्मा गांधी नरेगा योजना में इस वित्त वर्ष में 36 लाख से अधिक परिवारों को रोजगार दिलाया गया और 14 करोड़ 93 लाख से अधिक मानव दिवस सृजित हुए। अनुसूचित जनजाति के परिवारों को रोजगार दिलाने में हमारा प्रदेश देश में अग्रणी है। प्रदेश में इस वित्त वर्ष में अनुसूचित जनजाति के 12 लाख से अधिक परिवारों को रोजगार दिलाया गया और 4 करोड़ 79 लाख मानव दिवस सृजित हुए। इसी योजना से “कैच द रेन” अभियान में ग्रामों में 2 लाख 70 हजार जल-संरचनाओं का निर्माण भी किया गया है।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में प्रदेश में 52 जिलों के 47 हजार 22 गांव में कार्य किया जा रहा है। मिशन में अब तक 4 लाख 3 हजार 172 स्व-सहायता समूह का गठन कर 45 लाख 5 हजार परिवार को जोड़ा गया है। इन्हें बैंकों से 4 हजार 408 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया है। मिशन के माध्यम से इन परिवारों के 529 करोड़ 43 लाख रुपए के उत्पादों का विक्रय किया गया है। स्व-रोजगार कार्यक्रमों में 73 हजार ग्रामीण युवाओं को विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षित कर रोजगार मेलों से रोजगार दिलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ-विक्रेता योजना में 3 लाख 81 हजार ग्रामीण लाभान्वित हुए हैं।
स्वच्छ भारत मिशन के प्रथम चरण में हमारे गांवों द्वारा निर्धारित अवधि के एक वर्ष पूर्व 2 अक्टूबर, 2018 को ही खुले में शौच मुक्ति (ओडीएफ) का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है। मिशन (ग्रामीण) के द्वितीय चरण में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश में अब तक ३ लाख ४१ हजार व्यक्तिगत शौचालय और 16 हजार 274 स्वच्छता परिसर बनाये गये हैं। साथ ही 15 हजार 164 ग्राम में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और 15 हजार 919 गांव में तरल अपशिष्ट प्रबंधन किया गया है। प्रदेश के 15 हजार 525 ग्राम को ओडीएफ प्लस बनाया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा 2 अक्टूबर, 2022 को हमारे प्रदेश को विभिन्न श्रेणियों में अग्रणी राज्य का पुरस्कार दिया गया है।
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यमंत्री चौहान के सबके लिये पक्का आवास के संकल्प को पूरा करने के लिये तेज गति से कार्य हो रहा है। प्रतिमाह लगभग एक लाख प्रधानमंत्री आवास बनाये जा रहे हैं। योजना में अब तक प्रदेश में 38 लाख आवास स्वीकृत हुए हैं। जिनमें 29 लाख आवास पूरे कर लिये गये हैं। इन पर 35 हजार करोड़ रूपये से अधिक की लागत आई है। इस वर्ष 6 माह में ही लगभग 4 लाख 51 हजार आवास पूर्ण किये गये और धनतेरस के पवित्र अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हमारे ग्रामीण हितग्राहियों को वर्चुअल माध्यम से गृह-प्रवेश कराया गया।
ग्रामीण अधो-संरचना विकास के कार्य भी प्रदेश में निरंतर हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ग्राम-सड़क योजना में 8 हजार 942 गांव को जोड़ने के लिये 20 हजार 89 किलोमीटर लम्बाई की 8 हजार 714 सड़क स्वीकृत की गई हैं, जिनमें अभी तक 19 हजार 135 किलोमीटर की 8 हजार 292 सड़क बनाई जा चुकी हैं। प्रदेश के 8 हजार 456 गांव को बारहमासी एकल सम्पर्कता से जोड़ा जा चुका है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के क्रियान्वयन में गत 3 वर्ष में प्रदेश में 9 हजार 127 किलोमीटर सड़क का निर्माण गुणवत्ता के साथ किया जाकर देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया गया है।