इम्फाल, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। मणिपुर की जातीय हिंसा में लगभग आठ महीने पहले मारे गए 87 कुकी-ज़ो आदिवासियों (87 Kuki-Zo Tribesmen) का अंतिम संस्कार बुधवार को पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ किया गया, जिसमें महिलाओं और उनके रिश्तेदारों सहित हजारों लोग चुराचंदपुर जिले में किए गए सामूहिक दफन (Mass burial) में शामिल हुए।
15 दिसंबर को समुदाय के 19 आदिवासियों का अंतिम संस्कार कांगपोकपी जिले में एक समान सामूहिक दफन समारोह में किया गया था। ये आदिवासी मई में हुई जातीय हिंसा में मारे गए थे। पुलिस अधिकारियों और आदिवासी संगठन के सूत्रों ने कहा कि महिलाओं और बच्चों सहित मारे गए 87 कुकी-ज़ो आदिवासियों के शव लगभग आठ महीने से विभिन्न जिलों के विभिन्न मुर्दाघरों में रखे हुए थे। शवों में एक महीने का बच्चा भी शामिल है।
समिति की रिपोर्ट पर विचार करते हुए शीर्ष अदालत ने मणिपुर में जातीय हिंसा में मारे गए लोगों को दफनाने या दाह संस्कार करने के निर्देश जारी किए। मणिपुर में लगभग आठ महीने पहले अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में “आदिवासी एकजुटता मार्च” आयोजित किए जाने के बाद जातीय हिंसा भड़क उठी थी। गैर-आदिवासी मैतेई और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच जातीय दंगे में अब तक 182 लोगों की मौत हो चुकी है, कई सौ लोग घायल हुए हैं और दोनों समुदायों के 70,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।