नई दिल्ली, 17 दिसम्बर (आईएएनएस)| विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद संसद के उच्च सदन राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में ‘भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक-2020’ पेश करने में सफल होने वाले भाजपा राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कहा है कि देश के लिए एक समान कानून जरूरी है और इसलिए उन्होंने सदन में यूसीसी को लेकर बिल पेश किया है।
भाजपा राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने आईएएनएस के वरिष्ठ सहायक संपादक से बातचीत के दौरान इस बिल को लाने के उद्देश्य, अपनी पार्टी के एजेंडे और सरकार के रवैये सहित इससे जुड़े तमाम पहलुओं पर खुल कर बातचीत की।
पेश है इस खास बातचीत के कुछ अंश-
सवाल – समान नागरिक संहिता को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल की तरह इस विधेयक को पेश करने के पीछे आपकी क्या सोच है ?
जवाब – ऐसा है प्राइवेट मेंबर बिल की तरह मैंने इसे वर्ष 2020 में प्रस्तुत किया था और अब मुझे यह लगा कि इसे सदन में रखने का यह उचित समय है तो मैंने इसे राज्य सभा में पेश कर दिया। इसका उद्देश्य इतना ही है कि जब देश में एक संविधान है, एक विधान है तो लोगों के लिए अलग-अलग कानून नहीं होने चाहिए। मैं ट्राइब हूं, मैं हिंदू होते हुए भी दो शादियां कर सकता हूं लेकिन आप आप हिंदू होकर दूसरी शादी करोगे तो आपको सात साल की सजा होगी। एक मुसलमान चार शादी कर सकता है जबकि पड़ोस के मुस्लिम देश पाकिस्तान में भी वहां का मुसलमान अपनी पहली पत्नी की सहमति के बाद ही दूसरी शादी कर सकता है। लिंग, जाति और जन्म के आधार पर शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने के मामले में जो असमानता है उसे दूर करना ही इस बिल का मकसद है।
सवाल – लेकिन यह तो आपकी पार्टी (भाजपा) का एजेंडा है , आपकी कई राज्य सरकारें इसे लेकर कदम बढ़ा चुकी है। ऐसे में केंद्र सरकार की तरफ से इस बिल को पेश करने की बजाय आपके द्वारा प्राइवेट मेंबर बिल के तौर पेश करने को लेकर भी कई सवाल उठाए जा रहे हैं ?
जवाब – जनसंघ के समय से ही यह हमारी पार्टी का एजेंडा रहा है। शुरू से ही हमारी विचारधारा का यह मजबूत एजेंडा है। इसलिए पार्टी की सहमति से ही मैंने यह विधेयक सदन में पेश किया है।
सवाल – आपका कहना है कि आपने पार्टी की सहमति से यूसीसी बिल को सदन में पेश किया है तो क्या आपको लगता है कि प्राइवेट मेंबर बिल के तौर पर ही आपका यह बिल संसद से पास भी हो ही जाएगा ?
जवाब – देखिए , प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में यह बहुमत से संसद से पास तो हो जाएगा लेकिन मुझे लगता है कि यह बिल लाना पड़ेगा और दोनों सदनों में चर्चा के बाद ही यह पास होगा ।
सवाल – मतलब क्या आप यह दावा कर रहे हैं कि आपके बिल पर चर्चा के दौरान आगे चलकर सरकार अपने स्तर पर इस बिल को लाने का वादा कर सकती है ?
जवाब – जी, मुझे बिल्कुल लगता है कि आगे चलकर सरकार अपने स्तर पर इस बिल को लेकर आएगी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और देश के कई हाई कोर्ट इस पर बोल चुके हैं। प्रधानमंत्री भी इसे आवश्यक मानते हैं।
सवाल – तो फिर सरकार ही अभी इस बिल को लेकर सदन में क्यों नहीं आई ? आपको प्राइवेट मेंबर बिल की तरह इसे राज्य सभा में पेश क्यों करना पड़ा ?
जवाब – इसे आप लिटमस टेस्ट मान सकते हैं।
सवाल – लेकिन विपक्षी दल तो खुलकर पुरजोर तरीके से इसका विरोध कर रहे हैं ?
जवाब – वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर अच्छे फैसले का विरोध करना विपक्षी दलों की आदत बन गई है। लेकिन जहां तक इस बिल के विरोध की बात है, विपक्षी दल मुसलमानों को अपना वोट बैंक मानते हैं और इसलिए तुष्टिकरण की नीति के कारण वो इसका विरोध कर रहे हैं। जबकि इसमें तो मुसलमान बहु बेटियों की भी भलाई है।
सवाल – लेकिन आप पर आरोप लगाया जा रहा है कि आप मुस्लिम समुदाय को दबाने के लिए यह लेकर आए हैं ?
जवाब – यह बिल्कुल गलत है। मुस्लिम समुदाय को दबाने जैसी कोई बात नहीं है। बल्कि इससे तो मुस्लिम समाज की बहु-बेटियों को बड़ी राहत मिलने जा रही है।
सवाल – जनजातीय समाज अपनी विशेष परंपराओं के लिए जाना जाता है। यह समाज इस बिल को कैसे देख रहा है ?
जवाब – देखिए इस बारे में मेरा इतना ही कहना है कि मुझे हिंदू होने के बावजूद दो शादी करने का अधिकार क्यों मिलना चाहिए जबकि एक आम हिंदू को सिर्फ एक ही शादी करने का अधिकार है। समान नागरिक संहिता कानून जाति, वर्ग, समुदाय और धर्म से ऊपर उठकर सभी लोगों पर समान रूप से लागू होगा।