Jagdeep Dhankar का इस्तीफा मंजूर, विपक्ष बोला- स्वास्थ्य बहाना है, असली वजह कुछ और है

हैरानी की बात यह रही कि न तो धनखड़ राज्यसभा की कार्यवाही में शामिल हुए, न ही वे अपने विदाई समारोह में पहुंचे।

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  • Publish Date - July 22, 2025 / 07:28 PM IST

नई दिल्ली: देश के 14वें उपराष्ट्रपति (Vice President) जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) ने 21 जुलाई की रात अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार (22 जुलाई) को मंजूर कर लिया। इस घटनाक्रम ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है, क्योंकि यह निर्णय बिना किसी पूर्व संकेत के आया।

राज्यसभा में मंगलवार को कार्यवाही की शुरुआत उपसभापति हरिवंश ने की और सदन को धनखड़ के इस्तीफे की जानकारी दी। हैरानी की बात यह रही कि न तो धनखड़ राज्यसभा की कार्यवाही में शामिल हुए, न ही वे अपने विदाई समारोह में पहुंचे।

Dhankar का कार्यकाल और इस्तीफा: क्या हुआ अचानक?

धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का कार्यभार संभाला था और उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक चलना था। लेकिन उन्होंने 21 जुलाई को देर रात इस्तीफा सौंप दिया, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया।

हालांकि, महज 10 दिन पहले, यानी 10 जुलाई को एक सार्वजनिक मंच पर उन्होंने कहा था:

“ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त 2027 में रिटायर हो जाऊंगा।”

इस बयान के बाद अचानक इस्तीफा देना कई सवालों को जन्म देता है।

विपक्ष का आरोप – ‘स्वास्थ्य नहीं, सत्ता का संघर्ष है असली वजह’

विपक्षी दलों ने धनखड़ (Dhankar) के इस्तीफे को महज “स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा” मानने से इनकार किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक विस्तृत बयान जारी कर पूरी कहानी का एक दूसरा पक्ष सामने रखा।

जयराम रमेश ने क्या कहा?

  • 21 जुलाई दोपहर 12:30 बजे धनखड़ ने BAC (Business Advisory Committee) की बैठक बुलाई थी, जिसमें जेपी नड्डा, किरन रिजिजू समेत तमाम सांसद शामिल हुए।

  • तय हुआ कि शाम 4:30 बजे दोबारा बैठक होगी।

  • शाम को जेपी नड्डा और रिजिजू बैठक में नहीं आए, और धनखड़ को इस बारे में व्यक्तिगत रूप से कुछ नहीं बताया गया।

  • इससे वे खिन्न हुए और अगली बैठक टाल दी।

जयराम रमेश ने कहा:

“दोपहर से शाम के बीच कुछ गंभीर हुआ। धनखड़ को अपमानित किया गया। उन्होंने कभी किसी के दबाव में नहीं आने की बात कही थी। शायद इसी वजह से उन्होंने इस्तीफा दिया।”

विपक्षी नेताओं के तीखे बयान:

1. जेबी माथेर (कांग्रेस सांसद):

“बहुत ही अप्रत्याशित और चौंकाने वाला घटनाक्रम है। उन्होंने आज सुबह तक सदन की अध्यक्षता की थी।”

2. दानिश अली (कांग्रेस नेता):

“धनखड़ के इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य नहीं लगती। सुनने में आया था कि न्यायपालिका के मामलों में सरकार से उनके मतभेद थे। भाजपा के कुछ नेता उनके खिलाफ बयान दे रहे थे।”

3. सुखदेव भगत (कांग्रेस):

“राजनीति में कुछ भी अचानक नहीं होता। पटकथा पहले से लिखी जाती है। बिहार चुनाव नजदीक हैं, यह एक संकेत हो सकता है।”

Dhankar का कार्यकाल: विवाद, टकराव और महाभियोग की छाया

  • देश के पहले उपराष्ट्रपति बने जिनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव (दिसंबर 2024) लाया गया था, हालांकि वह तकनीकी आधार पर खारिज हो गया।

  • विपक्ष लगातार उन पर सत्ता पक्ष का पक्षपात करने का आरोप लगाता रहा।

  • वे राज्यसभा में विपक्ष के सवालों को दबाने, बोलने नहीं देने और निष्पक्ष न रहने को लेकर विवादों में रहे।

गौरतलब है कि धनखड़ के राजनीतिक करियर में कई अहम पद रहे, लेकिन वे अपना कार्यकाल अक्सर पूरा नहीं कर पाए। केवल एक बार विधायक के रूप में उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया।

क्या है आगे की राजनीतिक पृष्ठभूमि और संकेत?

Dhankar का इस्तीफा ऐसे समय आया है जब:

  • केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव बढ़ रहा है।

  • बिहार और अन्य राज्यों में चुनाव नजदीक हैं।

  • संसद का मानसून सत्र चल रहा है, जहां विपक्ष हमलावर है।

धनखड़ का पद छोड़ना कहीं ना कहीं सरकार के भीतर चल रही अंतर्कलह या रणनीतिक बदलाव का संकेत हो सकता है।