“सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को आदेश, 65 लाख नामों की सूची वेबसाइट पर डालें, आधार को वैध दस्तावेज माना”

इसके अलावा, कोर्ट ने आदेश दिया कि जिनका नाम इस लिस्ट में नहीं है, उनके पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड को भी स्वीकार किया जाए।

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  • Publish Date - August 14, 2025 / 05:59 PM IST

नई दिल्ली: बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट में तीसरे दिन भी सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने महत्वपूर्ण आदेश दिए।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया कि, जिन 65 लाख मतदाताओं का नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है, उनका नाम 48 घंटे के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर डाल दिया जाए। साथ ही, यह स्पष्ट किया जाए कि इनका नाम क्यों काटा गया। इस सूची को सभी संबंधित BLO (Booth Level Officer) कार्यालयों के बाहर, पंचायत भवन और BDO (Block Development Officer) कार्यालयों के बाहर भी लगाया जाएगा। इसे प्रमुख समाचार पत्रों, टीवी और रेडियो के माध्यम से भी प्रचारित किया जाएगा।

इसके अलावा, कोर्ट ने आदेश दिया कि जिनका नाम इस लिस्ट में नहीं है, उनके पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड को भी स्वीकार किया जाए।

चुनाव आयोग को तीन दिन का समय

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग से पूछा कि वह पारदर्शिता के लिए क्या कदम उठा रहे हैं। कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस पर मंगलवार तक रिपोर्ट देने का समय दिया है। जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा कि जो लोग फॉर्म जमा कर चुके हैं, उनका नाम मतदाता सूची में शामिल रहेगा।

इस दौरान जस्टिस बागची ने सवाल उठाया कि जब सभी नाम बोर्ड पर चिपकाए जा सकते हैं तो वेबसाइट पर क्यों नहीं डाले जा सकते।

सूची को खोजने योग्य बनाने का आदेश

वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि एक पुराने फैसले में मतदाता सूची को पूरी तरह से खोजने योग्य (searchable) बनाने पर गोपनीयता संबंधी आपत्ति उठाई गई थी। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि, “यह जानकारी खोजने योग्य रूप में दी जा सकती है।”

इसके अलावा, वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने सुझाव दिया कि सूची मशीन-रीडेबल होनी चाहिए, क्योंकि पहले एक घोटाला सामने आ चुका है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने दोहराया कि सूची को खोज योग्य होना चाहिए।

मृत, प्रवासी और डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम

सुप्रीम कोर्ट ने मृत, प्रवासी और डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम सार्वजनिक करने पर भी अहम सवाल उठाए। जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग से पूछा कि यदि 22 लाख लोग मृत पाए गए हैं, तो उनके नाम ब्लॉक और सब-डिवीजन स्तर पर क्यों नहीं बताए जाएं।

इस पर राकेश द्विवेदी ने कहा कि सिर्फ BLO ही नहीं, बल्कि बूथ लेवल एजेंट भी इस प्रक्रिया में शामिल हैं। जस्टिस बागची ने फिर सुझाव दिया कि मृत, प्रवासी और डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम वेबसाइट पर क्यों नहीं डाले जाते।

राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट

द्विवेदी ने इस मामले में यह भी बताया कि यह प्रक्रिया पंचायत चुनाव के लिए है, लेकिन राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) की वेबसाइट पर जानकारी डाली जा सकती है। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर सहमति जताई।