लोन फ्रॉड केस में ICICI की पूर्व CEO चंदा कोचर और दीपक कोचर को CBI ने किया गिरफ्तार

By : hashtagu, Last Updated : December 23, 2022 | 11:19 pm

नई दिल्ली:  ICICI बैंक लोन धोखाधड़ी (ICICI Bank Fraud Case) मामले में CBI ने बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया है. चंदा कोचर (Chanda Kochhar) पर मार्च 2018 में अपने पति को आर्थिक फ़ायदा पहुंचाने के लिए अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा था. चंदा कोचर उस कमेटी का हिस्सा रहीं जिसने 26 अगस्त 2009 को बैंक द्वारा वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स को 300 करोड़ रुपये और 31 अक्टूबर 2011 को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 750 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी थी. कमेटी का इस फैसले ने बैंक के रेगुलेशन और पॉलिसी का उल्लंघन किया था.

मई 2020 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चंदा कोचर और उनके पति से करोड़ो रुपये के लोन और इससे जुड़े अन्य मामलों में पूछताछ की थी. यह लोन ICICI बैंक ने वीडियोकॉन को 2009 और 2011 में दिया था. चंदा कोचर उस समय बैंक की MD और CEO थीं. इस मामले में CBI ने FIR दर्ज की थी. इसके बाद ED ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था.

ये था पूरा मामला?
दरअसल, वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के कोचर के पति दीपक कोचर के साथ बिजनेस संबंध हैं. वीडियोकॉन ग्रुप की मदद से बनी एक कंपनी बाद में चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की अगुआई वाली पिनैकल एनर्जी ट्रस्ट के नाम कर दी गई. यह आरोप लगाया गया कि धूत ने दीपक कोचर की सह स्वामित्व वाली इसी कंपनी के ज़रिए लोन का एक बड़ा हिस्सा स्थानांतरित किया था. आरोप है कि 94.99 फ़ीसदी होल्डिंग वाले ये शेयर्स महज 9 लाख रुपये में ट्रांसफ़र कर दिए गए.

बैंक ने शुरुआत में कोचर के ख़िलाफ़ मामले को आनन-फानन में रफा-दफ़ा करने की कोशिश की, लेकिन बाद में लोगों और नियामक के लगातार दबाव के चलते पूरे मामले की जांच के आदेश देने पड़े. आईसीआईसीआई बैंक ने स्वतंत्र जांच कराने का फ़ैसला लिया. बैंक ने 30 मई 2018 को घोषणा की थी कि बोर्ड व्हिसल ब्लोअर के आरोपों की ‘विस्तृत जांच’ करेगा. फिर इस मामले की स्वतंत्र जांच की ज़िम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा को सौंपी गई. जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट की जांच पूरी हुई और चंदा कोचर को दोषी पाया गया. साल 2020 के शुरू में ईडी ने चंदा कोचर, दीपक कोचर और उनके स्वामित्व एवं नियंत्रण वाली कंपनियों से संबंधित 78 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली थी.