अनिल अंबानी के ठिकानों पर CBI की रेड, बैंक फ्रॉड मामले में हो रही जांच
By : dineshakula, Last Updated : August 23, 2025 | 3:27 pm
नई दिल्ली: रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी (Anil Ambani) के खिलाफ सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उनके विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की है। सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी बैंक फ्रॉड के एक मामले से संबंधित है, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा 2000 करोड़ रुपये के फ्रॉड का आरोप लगाया गया है। इस मामले में 13 जून 2025 को SBI ने संबंधित खाते को फर्जी घोषित कर दिया था और 24 जून को इस मामले की सूचना रिज़र्व बैंक (RBI) को दी गई थी।
सीबीआई की छापेमारी आज सुबह 7 बजे शुरू हुई, जिसमें कुल छह स्थानों पर कार्रवाई की जा रही है। यह मामला तब सुर्खियों में आया, जब कुछ दिन पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी अनिल अंबानी से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी।
ईडी द्वारा पहले की गई छापेमारी:
सीबीआई की कार्रवाई से पहले, ईडी ने भी अनिल अंबानी के खिलाफ जांच की थी। ईडी ने हाल ही में अनिल अंबानी से पूछताछ की थी और उनसे 17,000 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले के बारे में कई सवाल पूछे थे। उन सवालों में शामिल थे, “क्या लोन शेल कंपनियों को भेजे गए थे?”, “क्या पैसे राजनीतिक दलों को दिए गए थे?” और “क्या आपने किसी सरकारी अधिकारी को रिश्वत दी थी?”
इस पूछताछ के बाद, अनिल अंबानी को एक हफ़्ते बाद फिर से ईडी के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया था। ईडी ने दिल्ली और मुंबई में कुल 35 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 50 कंपनियों की जांच की गई थी। इस दौरान 25 से अधिक लोगों से पूछताछ भी की गई थी।
यस बैंक और अनिल अंबानी समूह के लोन घोटाले का खुलासा:
बताया जा रहा है कि 2017 और 2019 के बीच, यस बैंक ने रिलायंस अनिल अंबानी समूह की RAAGA कंपनियों को लगभग 3,000 करोड़ रुपये का ऋण दिया था। ईडी का दावा है कि उसने एक अवैध लेन-देन का खुलासा किया है, जिसमें यस बैंक के प्रमोटरों ने कथित तौर पर लोन लेने से पहले अपनी निजी कंपनियों से पेमेंट लिया था।
ईडी के मुताबिक, यह पूरी प्रक्रिया सार्वजनिक संस्थाओं, निवेशकों और बैंकों को धोखा देने के लिए की गई थी, ताकि जनता के पैसे को हेराफेरी के जरिए गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल किया जा सके।
सीबीआई और ईडी की कार्रवाई के बाद, अब यह सवाल उठ रहा है कि अनिल अंबानी के खिलाफ कौन सी बड़ी कार्रवाई होती है, और क्या इन जांचों के परिणामस्वरूप उन्हें किसी गंभीर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।