नई दिल्ली, 5 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के बागपत के लाक्षागृह केस (Laxgrih case) में कोर्ट का फैसला हिंदुओं के पक्ष में (Decision in favor of Hindus) आया है। इस मामले में 53 साल बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए लाक्षागृह (Lakshyagriha) की 100 बीघा जमीन पर हिंदू पक्ष के अधिकार की बात कही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागवत जिले के बरनावा में लाक्षागृह की जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। मामला अदालत में चल रहा था। मुस्लिम पक्ष इस जमीन को सूफी संत शेख बदरुद्दीन की मजार बता रहे थे। जबकि, हिंदू पक्ष का दावा था कि यह महाभारत कालीन लाक्षागृह है। जहां पांडवों को कौरवों द्वारा जलाकर मारने की कोशिश की गई थी।
इस पूरे मामले में 53 साल बाद बागपत कोर्ट ने हिंदू पक्ष के हक में बड़ा फैसला दे दिया है। 1970 से इस मामले में अदालत में सुनवाई चल रही थी।
लाक्षागृह गुरुकुल के संस्थापक ब्रह्मचारी कृष्णदत्त महाराज को इस मामले में मुकीम खान ने प्रतिवादी बनाया था और मामले में लिखा था कि कृष्णदत्त महाराज जो बाहर के रहने वाले हैं, इस कब्रिस्तान को समाप्त कर यहां हिंदुओं का तीर्थ स्थान बनाना चाहते हैं। हालांकि, 53 साल के अंतराल में इस मामले के वादी और प्रतिवादी दोनों की मौत हो चुकी है।
यहां हुई खुदाई में इतिहासकारों की मानें तो हजारों साल पुराने जो साक्ष्य मिले, वह बता रहे थे कि यह जगह हिंदू सभ्यता के ज्यादा करीब थी। यहां की खुदाई 1952 में एएसआई की देखरेख में शुरू हुई थी। इस टीले के नीचे एक सुरंग भी मौजूद है। यहां खुदाई में जो चीजें मिली थी, वह भी महाभारत काल के समकालीन बताई गई थी।
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