जमीयत उलमा-ए-हिंद ने समान नागरिक संहिता, बुलडोजर कार्रवाई और इजरायल के खिलाफ पारित किए प्रस्ताव
By : hashtagu, Last Updated : April 13, 2025 | 6:11 pm

नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। (Jamiat Ulama-e-Hind Executive Committee Meeting) जमीयत उलमा-ए-हिंद की कार्यकारिणी समिति की बैठक रविवार को आयोजित की गई, जिसमें समान नागरिक संहिता, बुलडोजर कार्रवाई और इजरायल द्वारा फिलिस्तीन (Bulldozer action and resolutions passed against Israel) पर किए जा रहे हमलों को लेकर चिंता व्यक्त की गई।
बैठक में लिए गए पहले प्रस्ताव में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लागू होने और मुस्लिम पर्सनल लॉ को समाप्त करने के प्रयासों को धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात और संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन माना गया। समिति ने कहा कि यह मुद्दा केवल मुस्लिम समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की विविधता, बहुलता और लोकतांत्रिक ढांचे से जुड़ा हुआ है। यदि देश की सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता की अनदेखी कर कोई कानून लागू किया जाता है, तो इससे राष्ट्रीय एकता और अखंडता प्रभावित हो सकती है।
समिति ने मुस्लिम पर्सनल लॉ की पवित्रता पर बल देते हुए कहा कि इस्लामी शरीयत, अल्लाह द्वारा निर्धारित जीवन पद्धति है, जिसमें किसी प्रकार का बदलाव संभव नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 25 से 29 तक धार्मिक स्वतंत्रता की जो गारंटी दी गई है, उसका पालन आवश्यक है। समिति ने मुसलमानों से अपील की कि वे शरीयत के आदेशों का पूरी तरह पालन करें और महिलाओं को न्याय सुनिश्चित करें।
दूसरे प्रस्ताव में समिति ने सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद देश के विभिन्न राज्यों में बिना कानूनी प्रक्रिया के बुलडोजर कार्रवाई को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा कि हाल के दिनों में कमजोर वर्गों, विशेष समुदायों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बिना नोटिस के संपत्तियों को गिराने की घटनाएं बढ़ी हैं, जो कानून के शासन, समानता और लोकतंत्र के सिद्धांतों का उल्लंघन हैं।
इस तरह की कार्रवाइयों से जनता का राज्य संस्थाओं पर विश्वास कमजोर होता है और प्रशासन में प्रतिशोधात्मक प्रवृत्तियों को बल मिलता है। समिति ने मांग की कि न्यायपालिका और अन्य संवैधानिक संस्थाएं इस पर संज्ञान लें और जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह बनाएं। साथ ही, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और मानवाधिकार संगठनों से अपील की गई कि वे इस अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाएं।
तीसरे प्रस्ताव में गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों को लेकर भी समिति ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया। बैठक में कहा गया कि हजारों निर्दोष नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की हत्याएं, वैश्विक शक्तियों की उदासीनता को दर्शाती हैं।
इजरायल द्वारा भोजन, दवा और और जीवन की अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पर रोक युद्ध अपराध के समान है। समिति ने अमेरिका की भूमिका की आलोचना करते हुए कहा कि वह इजरायल को हर स्तर पर समर्थन दे रहा है, जबकि कई इस्लामी देशों की निष्क्रियता भी निंदनीय है। जमीयत ने भारत सरकार से गाजा में तत्काल युद्ध विराम सुनिश्चित करने, घायलों के उपचार की व्यवस्था करने और मानवीय सहायता पहुंचाने की मांग की। साथ ही, इजरायल पर युद्ध अपराधों के लिए जुर्माना लगाने और फिलिस्तीनी नागरिकों को मुआवजा देने की भी अपील की गई।