कर्नाटक राज्यपाल ने मंदिर टैक्स बिल लौटाया, मांगा जवाब

By : hashtagu, Last Updated : March 21, 2024 | 5:14 pm

बेंगलुरु, 21 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत (Governor Thawarchand Gehlot) ने मंदिरों के लिए टैक्स का प्रस्ताव करने वाले विवादास्पद कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक (Charitable Endowments Amendment Bill), 2024 को लौटा दिया।

उन्होंने पूछा है कि क्या राज्य सरकार के पास अन्य धार्मिक संस्थानों को शामिल करने के लिए कोई कानून है।

राज्यपाल कार्यालय के अनुसार, ”स्पष्टीकरण के साथ फाइल को फिर से जमा करने के निर्देश के साथ फाइल को राज्य सरकार को वापस करने का आदेश दिया गया है।”

  • सरकार को भेजे पत्र में जिक्र है, “क्या राज्य सरकार ने इस विधेयक के समान अन्य धार्मिक संस्थानों को शामिल करने के लिए किसी बिल की कल्पना की है?”
  • राज्यपाल ने कहा, ”कर्नाटक धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1997 और वर्ष 2011 और 2012 में किए गए संशोधनों को हाईकोर्ट धारवाड़ पीठ ने रिट आवेदन संख्या 3440/2005 में रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और मामला अंतिम सुनवाई के चरण में है।”
  • राज्यपाल के आदेश में कहा गया है, ”अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए अधिक स्पष्टीकरण प्राप्त करना जरूरी है कि क्या मामले के लंबित रहने के दौरान संशोधन किया जा सकता है, विशेष रूप से जब पूरे अधिनियम को पहले ही हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया हो।”

कांग्रेस सरकार ने भाजपा के कड़े विरोध के बीच फरवरी में विधानसभा और परिषद में विधेयक पारित किया था। यह विधेयक कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1997 में कई प्रावधानों में संशोधन करने के लिए है।

विधेयक के तहत कर्नाटक के जिन मंदिरों की सालाना कमाई 10 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये के बीच में है, उनसे राज्य सरकार 5 फीसदी टैक्स वसूलेगी। वहीं, जिन मंदिरों की सालाना कमाई 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है, उन पर सरकार 10 फीसदी टैक्स लगाने की तैयारी कर रही है। हालांकि, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने इस पर और स्पष्टीकरण देने की मांग करते हुए विधेयक को लौटा दिया है।