नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)। बाघों के संरक्षण (Conservation of tigers) के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने रविवार को अपने मासिक मन की बात कार्यक्रम में बाघों के संरक्षण पर बात की।
उन्होंने बताया कि राजस्थान के रणथंभोर से शुरू हुआ “कुल्हाड़ी बंद पंचायत” अभियान काफी कारगर रहा है। स्थानीय लोगों ने शपथ ली है कि वे कुल्हाड़ी के साथ जंगल नहीं जाएंगे, कोई पेड़ नहीं काटेंगे। इससे बाघों के लिए वातावरण तैयार हो रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की शुरुआत साल 2010 में हुई थी। रूस में एक टाइगर समिट में बाघ रेंज के देशों ने बाघ संरक्षण पर चर्चा की थी। उसी सम्मेलन में हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का फैसला किया गया था।
बाघ न सिर्फ भारत का राष्ट्रीय पशु है बल्कि, दुनिया के करीब 70 प्रतिशत बाघ हमारे देश में हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का उद्देश्य लगातारी घट रही बाघों की संख्या के लिए आवश्यक कदम उठाना है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बाघों के प्रति जागरुकता फैलाने का प्रयास किया जाता है। विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठन बाघ संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा देते हैं।
बाघों की घटती संख्या के कारणों की बात करें तो उनकी खाल, हड्डियों और अन्य अंगों की मांग की वजह से उनका अवैध शिकार किया जाता है। जंगल भी लगातार कम हो रहे हैं, यही वजह है कि बाघ पास की बस्तियों और इलाकों पर हमले करते हैं। अनुकूल वातावरण न होने के कारण इसका असर बाघों के जीवन पर पड़ रहा है।
भारत सरकार ने 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य देश में बाघों की संख्या को बढ़ावा देना और उनके आवासों की सुरक्षा करना है। इस परियोजना के तहत कई टाइगर रिजर्व भी स्थापित किए गए हैं। साथ ही बाघ संरक्षण के लिए विशेष नीतियां भी बनाई गई हैं। भारत में अभी कुल 54 टाइगर रिजर्व हैं।
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