मंत्री विजय शाह केस: सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी जांच के आदेश दिए, गिरफ्तारी पर रोक लेकिन माफी नामंजूर

कोर्ट ने आदेश में कहा कि यह एसआईटी तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की टीम होगी, जिसमें एक आईजी और दो एसपी रैंक के अधिकारी शामिल होंगे।

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  • Publish Date - May 19, 2025 / 02:29 PM IST

नई दिल्ली/भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह (Vijay Shah) द्वारा महिला सेना अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए आपत्तिजनक बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह की माफ़ी को यह कहते हुए नामंजूर कर दिया कि एक सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति को बोलने से पहले जिम्मेदारी समझनी चाहिए। कोर्ट ने मामले की गहराई से जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) गठित करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने आदेश में कहा कि यह एसआईटी तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की टीम होगी, जिसमें एक आईजी और दो एसपी रैंक के अधिकारी शामिल होंगे। इस टीम में कम से कम एक महिला अधिकारी का होना अनिवार्य होगा। सभी अधिकारी मध्य प्रदेश कैडर से हो सकते हैं, लेकिन किसी भी हाल में राज्य के मूल निवासी नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि एसआईटी 28 मई तक इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे।

विजय शाह के वकील ने दलील दी कि मंत्री पहले ही सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुके हैं। इस पर कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “आप पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं। एक पब्लिक फिगर होने के नाते आपको हर शब्द सोच-समझकर बोलना चाहिए। आप समाज में एक उदाहरण हैं और आपकी भाषा से समाज में जहर फैल सकता है।”

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान विजय शाह की गिरफ्तारी पर अस्थायी रोक लगा दी है, जिससे उन्हें तत्काल राहत जरूर मिली है, लेकिन जांच से बचने का रास्ता नहीं खुला।

गौरतलब है कि मंत्री विजय शाह ने 11 मई को इंदौर ज़िले के महू क्षेत्र में आयोजित एक जनसभा में विवादित बयान दिया था। उन्होंने पाकिस्तान पर हुई कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम लेते हुए आपत्तिजनक और आपराधिक भाषा का प्रयोग किया था।

शाह ने कहा था, “उन्होंने कपड़े उतार-उतारकर हमारे हिंदुओं को मारा, और मोदी जी ने उनकी बहन को भेजा कि जाकर बदला लो। अब मोदी जी कपड़े तो नहीं उतार सकते, इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा गया।”

इस बयान के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया और मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 14 मई को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके तहत इंदौर के महू थाने में मामला दर्ज हुआ। इस आदेश को चुनौती देते हुए विजय शाह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जहां अब कोर्ट ने उन्हें बेल नहीं, बल्कि जांच का सामना करने का निर्देश दिया है।

बयान से उपजा विवाद सिर्फ कानूनी ही नहीं, सामाजिक और राजनैतिक भी है। सेना की महिला अधिकारी के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले इस बयान से सेना और महिला संगठनों में तीव्र विरोध देखा गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को महिला गरिमा और संविधान के मूल्यों की रक्षा के रूप में देखा जा रहा है।