निचली अदालतों में जज बनने के लिए अब अनिवार्य होगी 3 साल की प्रैक्टिस, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

By : hashtagu, Last Updated : May 20, 2025 | 12:36 pm

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने निचली अदालतों में सिविल जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अब देशभर में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) बनने के लिए उम्मीदवारों को न्यूनतम तीन साल की वकालत की प्रैक्टिस अनिवार्य रूप से करनी होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रैक्टिस अनुभव किसी वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा प्रमाणित होना चाहिए, जिसकी बार में कम से कम 10 साल की वरिष्ठता हो। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि लॉ क्लर्क के तौर पर किया गया कार्य अनुभव भी इस प्रैक्टिस पीरियड में जोड़ा जा सकेगा।

सिर्फ इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के लिए विभागीय परीक्षा के ज़रिए मिलने वाली पदोन्नति को मौजूदा 10% से बढ़ाकर 25% करने का निर्देश दिया है। सभी राज्य सरकारों और उच्च न्यायालयों को इस संबंध में अपने-अपने सेवा नियमों में संशोधन करने को कहा गया है।

न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि जज चुने जाने के बाद अदालत में कार्यभार संभालने से पहले एक वर्ष का प्रशिक्षण अनिवार्य होगा। हालांकि, वे नियुक्ति प्रक्रियाएं जिनकी शुरुआत पहले ही हो चुकी है, उन पर यह नया नियम लागू नहीं होगा।

यह निर्णय न्यायिक प्रणाली में अनुभव और दक्षता को प्राथमिकता देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके साथ ही सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए भी ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया था, जिससे न्यायपालिका में समानता और सम्मान को और बल मिला है।

सुप्रीम कोर्ट के इन दोनों फैसलों को न्याय व्यवस्था को अधिक मजबूत, पारदर्शी और योग्य बनाने की दिशा में निर्णायक पहल माना जा रहा है।