जयशंकर के दौरे से पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति ने 13ए लागू करने का दिया भरोसा

By : brijeshtiwari, Last Updated : January 16, 2023 | 12:33 pm

कोलंबो, 16 जनवरी (आईएएनएस)| भारत (India) के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jayshankar) के इस हफ्ते श्रीलंका (Sri Lanka) दौरे से पहले, राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भारत (India) की मध्यस्थता वाले संविधान में 13वें संशोधन को पूरी तरह से लागू करने का आश्वासन दिया है।

विक्रमसिंघे ने कहा कि 13वां संशोधन, जो बहुसंख्यक सिंहली और अल्पसंख्यक तमिलों के बीच की जातीय समस्या को हल करने के लिए प्रस्तावित किया गया था, न केवल युद्ध-ग्रस्त उत्तर में बल्कि सिंहल बहुसंख्यक दक्षिण में भी लागू किया जाएगा।

श्रीलंका के राष्ट्रपति (President) ने रविवार को उत्तरी शहर जाफना में आयोजित राष्ट्रीय थाई पोंगल महोत्सव में भाग लेते हुए यह टिप्पणी की।

उन्होंने घोषणा की, कि अगले सप्ताह राजनीतिक नेताओं के साथ चर्चा करने के बाद सुलह की दिशा में सरकार के कदमों पर एक बयान फरवरी में सार्वजनिक किया जाएगा।

विक्रमसिंघे ने यह भी आश्वासन दिया कि लापता लोगों के परिवारों को राहत प्रदान करने के लिए सरकारी आयोग के काम में तेजी लाई जाएगी।

1987 में भारत के हस्तक्षेप के बाद, भारत-श्रीलंका शांति समझौते के तहत, श्रीलंका के संविधान में 13वां संशोधन पेश किया गया था।

तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी और श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने के बीच हस्ताक्षर किए गए, इस समझौते का मकसद जातीय संघर्ष को हल करना था। उस समय, श्रीलंका सशस्त्र बलों और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के बीच गृहयुद्ध जैसी स्थिति थी जिसमें एक अलग प्रांत की मांग की जा रही थी।

देश में तमिल बहुल उत्तरी और पूर्वी प्रांतों को राजनीतिक शक्तियों को हस्तांतरित कर जातीय संकट का समाधान खोजने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। 13वें संशोधन के तहत, प्रांतीय परिषद (पीसी) प्रणाली देश को सिंहल बहुसंख्यक क्षेत्रों सहित नौ प्रांतों में विभाजित करने वाली सत्ता साझा करने की व्यवस्था पेश की गई थी। पीसी सिस्टम, एक बार पूरी तरह से लागू होने के बाद, भूमि, स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, आवास और पुलिस जैसे क्षेत्रों पर स्वशासन का अधिकार होगा।

बहुसंख्यक सिंहली चरमपंथी दल 13ए का, विशेष रूप से केंद्र से पुलिस जैसी शक्तियों को साझा करने का कड़ा विरोध करते रहे हैं।

भारत विशेष रूप से 2009 में गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद से श्रीलंका से 13ए को लागू करने का आग्रह कर रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 2021 में श्रीलंका दौरे के दौरान इस आग्रह को फिर से दोहराया था।