सुप्रीम कोर्ट ने काशी विश्‍वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद भूमि विवाद संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई 1 दिसंबर तक टाली

By : hashtagu, Last Updated : November 20, 2023 | 9:54 pm

नई दिल्ली, 20 नवंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को काशी विश्‍वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद भूमि स्वामित्व विवाद (Kashi Vishwanath-Gyanvapi Mosque land ownership dispute) से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई 1 दिसंबर तक के लिए टाल दी। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा पीठ समय की कमी के कारण मामले की सुनवाई नहीं कर सकी। पीठ ने पक्षों से इस दौरान एक पेज का नोट दाखिल करने को कहा।

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।

अपनी पहली याचिका में ज्ञानवापी-गौरीश्रृंगार परिसर के सर्वेक्षण के लिए कोर्ट कमिश्‍नर की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए कहा गया है कि वाराणसी कोर्ट का आदेश प्रथम दृष्टया क्षेत्राधिकार के बिना है। मस्जिद समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने कहा कि सीपीसी (सिविल प्रक्रिया संहिता) के आदेश 26 नियम 9 के संदर्भ में आयुक्त की नियुक्ति “सही” नहीं है।

दूसरी विशेष अनुमति याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) को ‘वुज़ू खाना’ को छोड़कर, ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के यह कहने के बाद कि साइट पर कोई खुदाई नहीं की जाएगी, सर्वेक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने पहले उच्च न्यायालय के एक और आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद में कथित तौर पर खोजे गए “शिवलिंग” की उम्र का पता लगाने के लिए “वैज्ञानिक सर्वेक्षण” करने का निर्देश दिया गया था।

अपनी तीसरी याचिका में प्रबंधन समिति ने जिला अदालत के समक्ष दायर हिंदू उपासकों के मुकदमे की स्थिरता को बरकरार रखने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाया है। 31 मई को पारित अपने विवादित आदेश में उच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश द्वारा नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश 7, नियम 11 के तहत आवेदन की अस्वीकृति के खिलाफ दायर पुनरीक्षण आवेदन को खारिज कर दिया था।