नई दिल्ली, 21 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ शराब घोटाले (Chhattisgarh Liquor Scam) से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा की गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति जताई। न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ ने एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तारी और पूछताछ में दिखाई गई जल्दबाज़ी पर सवाल उठाते हुए अधिकारियों से विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है।
न्यायमूर्ति ओका ने मामले की सुनवाई के दौरान अधिकारियों के समन जारी करने और गिरफ्तारी की समय-सीमा पर सवाल उठाते हुए कहा, “20 अप्रैल 2024 को शाम 4:30 बजे ACB ने पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन उसी दिन दोपहर 12 बजे ED ने समन जारी कर दिया। बाद में फिर दूसरा समन जारी किया गया और पूरी रात आरोपी से पूछताछ की गई। इतनी जल्दबाज़ी क्यों की गई?”
टुटेजा के वकील ने बताया की एसीबी ने 20 अप्रैल 2024 को 11 बजे बुलाया था, जिसके सहयोग में अनिल टुटेजा ए.सी.बी ऑफिस पहुंचे, जहाँ ई डी के अधिकारियों ने दोपहर 3 बजे पहुँच के एक समन दिया जिसपे समय बीते हुए दोपहर १२ बजे का था, उस समन को लेने से इंकार किया फिर एक नया समन शाम 5:30 बजे का दे दिया और ई डी के अधिकारी अपने साथ उन्हें ई डी के ऑफिस ले गए। रात भर पूछ ताछ करने के बाद 21 अप्रैल की सुबह 3:45 बजे गिरफ्तार कर लिया।
उन्होंने यह भी पूछा कि यदि ACB पहले से पूछताछ कर रही थी, तो ED के लिए दूसरा समन जारी करने की आवश्यकता क्यों पड़ी। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, “ACB के अधिकारियों ने अनिल टुटेजा को ED कार्यालय क्यों पहुँचाया? इतनी जल्दबाज़ी तो गंभीर IPC मामलों या आतंकवाद मामलों में भी नहीं होती।” अदालत ने पूरी रात चली पूछताछ को “अक्षम्य” करार दिया और अधिकारियों से पूछा कि वे यह बताएं कि ACB कार्यालय में पूछताछ के दौरान ED के समन क्यों जारी किए गए। अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे समन के जारी होने और सेवा का समय स्पष्ट रूप से बताएं और यह भी बताएँ कि उन्हें कैसे पता चला कि तुटेजा ACB कार्यालय में थे।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एस.वी. राजू ने अधिकारियों की ओर से दलील देते हुए कहा कि अनिल टुटेजा स्वेच्छा से ED कार्यालय आए थे और उनके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “वह अपनी मर्जी से आए, उनके साथ कोई जोर-जबरदस्ती या मारपीट नहीं हुई।” राजू ने घोटाले की गंभीरता का हवाला देते हुए अधिकारियों के कदमों को उचित ठहराने की कोशिश की। हालांकि, अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, “हम अपराध की प्रकृति पर नहीं, बल्कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं।”
राजू ने यह स्वीकार किया कि अधिकारियों ने शायद “अधिक उत्साह में” कानून के नियमों का पालन नहीं किया होगा, लेकिन उन्होंने तर्क दिया कि प्रक्रिया में त्रुटि के आधार पर आरोपी को राहत नहीं दी जानी चाहिए। “यदि अधिकारी ने समन देने के नियमों का पूरी तरह पालन नहीं किया, तो भी यह गंभीर आर्थिक अपराध के आरोपी को छूट देने का आधार नहीं बन सकता,” उन्होंने कहा।
टुटेजा की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती देते हुए उनकी रिहाई की मांग की। उन्होंने कहा, “हम यह कह रहे हैं कि गिरफ्तारी गलत है और हम रिहाई चाहते हैं।” सिंघवी ने तर्क दिया कि रातभर पूछताछ करना और तुटेजा को अवैध रूप से हिरासत में रखना कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।
अदालत ने ASG को शुक्रवार तक एक विस्तृत शपथपत्र दायर करने का निर्देश दिया है, जिसमें PMLA अधिनियम की धारा 50 के तहत समन की सेवा और तुटेजा को सुबह-सुबह ED कार्यालय ले जाने की पूरी प्रक्रिया स्पष्ट हो। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, “यदि यह उचित रूप से स्पष्ट नहीं किया गया, तो हमें इन प्रक्रियाओं पर सख्त रुख अपनाना पड़ेगा।”
अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि टुटेजा को जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए था, जो एक उपयुक्त कदम होता। अब इस मामले की सुनवाई 5 नवंबर को दोपहर 3 बजे होगी, जिसमें अदालत गिरफ्तारी और पूछताछ से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तार से विचार करेगी।
#SupremeCourt hears plea by former IAS Officer Anil Tuteja against Chhattisgarh High Court judgment refusing to quash corruption and money laundering cases against him in connection with alleged liquor scam in the state. pic.twitter.com/RZfP7SSjJs
— Live Law (@LiveLawIndia) October 21, 2024