पियूष पांडे: भारतीय विज्ञापन उद्योग के ‘पिता’, जिनकी रचनाओं ने बदल दी भारतीय विज्ञापन की परिभाषा

By : dineshakula, Last Updated : October 24, 2025 | 12:17 pm

PIYUSH PANDEY: पियूष पांडे, जिन्हें भारतीय विज्ञापन उद्योग का ‘पिता’ माना जाता है, का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका योगदान भारतीय विज्ञापन की दुनिया में अतुलनीय है, और उनके द्वारा बनाए गए विज्ञापनों ने न केवल ब्रांड्स को लोकप्रिय बनाया बल्कि भारतीय समाज की भावनाओं और पहचान को भी गहरे तरीके से छुआ। पांडे के विज्ञापन आज भी भारतीय विज्ञापन जगत में मानक माने जाते हैं।

उनकी विज्ञापन रचनाएं हमेशा सरल और प्रभावशाली थीं, जो सीधे लोगों के दिलों तक पहुँचती थीं। उनके विज्ञापनों में वह विशेषता थी जो केवल एक महान कहानीकार ही प्रदान कर सकता था। उनकी रचनाओं का उद्देश्य सिर्फ उत्पाद बेचना नहीं था, बल्कि एक जुड़ाव, एक भावनात्मक रिश्ता बनाना था।

फेविकोल — “ये फेविकोल का जोड़ है, टूटेगा नहीं”

पियूष पांडे ने फेविकोल के लिए जो विज्ञापन बनाए, वे आज भी याद किए जाते हैं। इनमें से कुछ सबसे प्रसिद्ध विज्ञापन थे:

  • फेविकोल बस विज्ञापन: एक भीड़-भाड़ वाली बस, जो सड़क पर इस कदर लदी होती है कि वह कभी नहीं टूटती, क्योंकि उसे फेविकोल के विज्ञापन से जोड़ा गया था। यह विज्ञापन फेविकोल के शक्तिशाली जोड़ को प्रदर्शित करता है।

  • फेविकोल अंडा विज्ञापन: एक मुर्गी ने अंडा दिया जो टूट नहीं सकता था, क्योंकि वह फेविकोल के टिन से खा रही थी, जो पूरी तरह से अचंभित कर देने वाला था।

  • फेविक्विक मछली पकड़ने वाला विज्ञापन: एक मछुआरा फेविक्विक से लिपटे लकड़ी के डंडे से तुरंत मछली पकड़ता है, जबकि दूसरा मछुआरा नाकाम रहता है। यह विज्ञापन फेविक्विक के त्वरित प्रभाव को दर्शाता है।

कैडबरी डेयरी मिल्क — “कुछ खास है… ज़िन्दगी में”

पियूष पांडे द्वारा कैडबरी डेयरी मिल्क के लिए तैयार किया गया विज्ञापन भारतीय विज्ञापन जगत का एक ऐतिहासिक मोड़ था। इसमें एक महिला क्रिकेट मैदान पर दौड़ते हुए अपने साथी के जीतने के बाद खुशी से चॉकलेट का एक बड़ा टुकड़ा लेकर उसे जश्न मनाते हुए दिखाती है। यह विज्ञापन केवल चॉकलेट को एक उत्पाद के रूप में नहीं बल्कि एक खुशी का प्रतीक बना देता है। इस विज्ञापन ने लिंग समानता को भी बढ़ावा दिया, क्योंकि पारंपरिक रूप से चॉकलेट को बच्चों और महिलाओं से जुड़ा माना जाता था, लेकिन इस विज्ञापन ने यह धारणा बदल दी।

पल्स पोलियो — “दो बूंद ज़िन्दगी के”

पियूष पांडे का काम केवल विज्ञापनों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने सार्वजनिक सेवा अभियानों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। सबसे महत्वपूर्ण था पल्स पोलियो अभियान, जिसमें अमिताभ बच्चन के साथ उनकी बनाई गई साधारण लेकिन प्रभावशाली कहानी — “दो बूंद ज़िन्दगी के” — ने पोलियो उन्मूलन के अभियान को जन-जन तक पहुँचाया और भारत को पोलियो मुक्त बना दिया।

एशियन पेंट्स — “हर घर कुछ कहता है”

पियूष पांडे ने एशियन पेंट्स के लिए एक ऐसा विज्ञापन बनाया, जो किसी भी घर को केवल एक पेंट करने का कार्य नहीं दिखाता, बल्कि यह दर्शाता है कि हर घर की अपनी एक कहानी होती है। उनका यह विचार कि “हर घर कुछ कहता है” ने घरों की सजा-धजा दीवारों को एक नई पहचान दी और भारतीय दर्शकों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ी।

वोडाफोन (हच) — “You and I, in this Beautiful World”

वोडाफोन (उस समय हच) के पग विज्ञापन को कौन भूल सकता है? पियूष पांडे के बनाए इस विज्ञापन में एक पग को बच्चे के साथ हर जगह जाते हुए दिखाया गया, यह दिखाने के लिए कि वोडाफोन का नेटवर्क हमेशा आपके साथ है। यह विज्ञापन तब लोकप्रिय हुआ था जब हच की नेटवर्क की विश्वसनीयता को इस छोटे से प्यारे पग के माध्यम से दर्शाया गया था।

पियूष पांडे की विरासत

पियूष पांडे के विज्ञापन सिर्फ उत्पादों की बिक्री तक सीमित नहीं थे, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज की सच्चाई, भावनाओं और रिश्तों को खूबसूरती से चित्रित किया। उनकी विज्ञापन शैली हमेशा सहज, दिलचस्प और सटीक होती थी। उनकी कहानियाँ भारतीयों के दिलों को छूने वाली होती थीं, क्योंकि वे भारतीय संस्कृति और सामाजिक संदर्भ में गहरे से जुड़ी होती थीं।

उनके द्वारा बनाए गए विज्ञापन आज भी भारतीय विज्ञापन उद्योग में सबसे प्रभावशाली और यादगार माने जाते हैं। पियूष पांडे की विरासत यह साबित करती है कि एक अच्छा विज्ञापन केवल उत्पाद बेचने का नहीं, बल्कि एक मजबूत भावना, विश्वास और संबंध बनाने का जरिया है।