राहुल गांधी ने किसे कहा, इनकी मोहब्बत का असर!

मां के साये में जो प्यार-’मोहब्बत बच्चे को मिलता है, उसका असर उसके जीवन पर पड़ना स्वभाविक ही है।

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  • Updated On - December 24, 2022 / 10:49 PM IST

छत्तीसगढ़। मां के साये में जो प्यार-’मोहब्बत बच्चे को मिलती है, उसका असर उसके जीवन पर पड़ना स्वभाविक ही है। सच कहा गया है कि मां की ममता के आंचल में पला बढ़ा बचपन पूरी जिंदगी भर रहता है। मां ही किसी भी बच्चे की पहली पाठशाला होती है। उसकी सीख किताबों में नहीं, उसकी दुआ और इबारतों से मिलती है। ऐसी सीख कांग्रेस (Congress) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को भी अपनी मां सोनिया गांधी से मिली। उसी का असर है कि संघर्ष के इस पड़ाव में देश की विषम हालातों के बीच एक प्रेम की सौगात लेकर नफरत मिटाने के लिए भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं। आज इनके भारत जोड़ो यात्रा को अपार जनसमर्थन और प्यार मिल रहा है। भारतीय राजनीति में अभी तक जो भी हुआ है, वह सिर्फ सत्ता पाने के लिए। लेकिन राहुल गांधी की इस यात्रा ने अब पूरे भारत से डर और नफरत को मिटाकर एकजूट कर दिया है।

शायद ये पहली बार है कि आजादी के बाद किसी राजनेता ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दांडी यात्रा की तर्ज पर भारत जोड़ो यात्र की। वह भी इतनी लंबी यात्रा, जिसे किसी राजनेता ने नहीं किया था। ये-काबिले-तारीफ है कि देश की आबोहवा में इस तरह का एक माहौल पैदा करना वाकाई एक मिसाल है। ही साथ युवा ऊर्जा शक्ति को एक नई दिशा दी है। राहुल ने अपने भारत जोड़ो यात्रा से यह बता दिया कि प्रेम की सौगात कायम होने के बाद ही रामराज्य की कल्पना साकार होती है।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने भी सभी जीव-जंतुओं और मनुष्यों को आपस में प्रेम करने की सीख से पहले खुद उनसे प्रेम किया था। वैसे यहां श्रीराम की चर्चा का अर्थ किसी को उपमा देना नहीं, बल्कि उनके प्रेम के आदर्शों के पथ पर चलने के संकल्प को दोहराना भर है। यानी उनके बताए प्रेम के पथ पर चलकर ही एक सूत्र में पूरे राष्ट्र को बांधा जा सकता है। कुछ ऐसा ही उदेश्य इस यात्रा से जनभावना में प्रस्फुटित हुआ है।