दो साल के केन्याई बच्चे ‘प्रॉस्पर’ ने अपनी मौत के बाद चार लोगों को दी जिंदगी

By : hashtagu, Last Updated : October 30, 2024 | 12:19 pm

चंडीगढ़, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। दो वर्षीय केन्याई बच्चे प्रॉस्पर (Baby Prosper) ने भारत में सबसे कम उम्र के पैंक्रियास दानदाता के रूप में नया इतिहास रचा है। उनकी इस दानशीलता से दो गंभीर किडनी फेलियर रोगियों को नई जिंदगी मिली। एक रोगी को एक साथ पैंक्रियास और किडनी का प्रत्यारोपण किया गया और दूसरे में किडनी ट्रांसप्लांट की गई।

प्रॉस्पर के परिवार ने अपने बेटे के अंग दान करने का निस्वार्थ निर्णय लिया, जिससे दो और लोगों को ‘दृष्टि’ का उपहार भी मिला। इस तरह, उनके परिवार की उदारता ने चार लोगों की जिंदगी में नई उम्मीदें जगाई है। यह पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ में पहला अंतर्राष्ट्रीय अंगदान का मामला था।

प्रॉस्पर के परिवार ने अपने दर्द के बीच दूसरों की जिंदगी में रोशनी लाने का कठिन लेकिन साहसिक निर्णय लिया। पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “यह मामला अंगदान के महत्व को उजागर करता है। इतनी कम उम्र में जिंदगी खोना बेहद दुखद है, लेकिन प्रोस्पर के परिवार का यह फैसला हमें दयालुता और सेवा की एक अनोखी मिसाल देता है, जो निराशा के क्षणों में भी दूसरों को जीवन का उपहार दे सकता है।”

17 अक्टूबर को, प्रॉस्पर एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया था और उसे तत्काल पीजीआईएमईआर लाया गया, पर 26 अक्टूबर को उसे ब्रेन-डेड घोषित कर दिया गया। गहरे दुख के बावजूद, प्रोस्पर के परिवार ने उसके अंगों का दान करने का फैसला किया, जिससे वे देश के सबसे कम उम्र का पैंक्रियास दानकर्ता बन गया।

प्रॉस्पर की मां, जैकलीन डायरी ने बताया, “हमारा दिल टूट गया है, लेकिन इस बात का सुकून है कि हमारे बेटे के अंग दूसरों को नया जीवन देंगे। इस प्रकार हम उसकी यादों को जीवित रख सकते हैं और दूसरों को उम्मीद दे सकते हैं।”

पीजीआईएमईआर के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि केन्याई उच्चायोग से आवश्यक स्वीकृति के बाद पीजीआईएमईआर की टीम ने एक मरीज को एक साथ पैंक्रियास और किडनी का प्रत्यारोपण किया, जबकि दूसरे मरीज को किडनी दी गई। इसके अलावा, प्रोस्पर की आंखों के कॉर्निया के दान से दो अन्य लोग फिर से देखने में सक्षम हो सकेंगे, जिससे चार लोगों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है।