उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया, राष्ट्रपति को पत्र में जताया आभार
By : dineshakula, Last Updated : July 21, 2025 | 10:09 pm
नई दिल्ली – भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़(Jagdeep Dhankar) ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने त्यागपत्र में स्वास्थ्य कारणों और डॉक्टरों की सलाह का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से हटने की बात कही है। धनखड़ 74 वर्ष के हैं।
धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा, “सेहत को प्राथमिकता देने और डॉक्टर की सलाह को मानने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देता हूं।” पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति के सहयोग के लिए आभार जताया और प्रधानमंत्री एवं मंत्रिपरिषद का भी विशेष रूप से धन्यवाद किया।
उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है। मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है।” सांसदों से मिले स्नेह और विश्वास को उन्होंने अपनी स्मृतियों में हमेशा संजोकर रखने की बात कही।
धनखड़ ने अपने कार्यकाल को भारत के आर्थिक और लोकतांत्रिक विकास का साक्षी बताया। “यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही है कि मैंने भारत की अभूतपूर्व प्रगति और परिवर्तन के इस युग में उसकी भागीदारी की। इस महान राष्ट्र की सेवा करना मेरे लिए सच्चा सम्मान रहा है,” उन्होंने लिखा।
— Vice-President of India (@VPIndia) July 21, 2025
स्वास्थ्य खराब होने के संकेत पहले से थे
25 जून को उत्तराखंड के नैनीताल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। कुमाऊं यूनिवर्सिटी के गोल्डन जुबली समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए धनखड़ को कार्यक्रम के बाद सीने में तेज दर्द की शिकायत हुई थी। उन्हें तत्काल नैनीताल राजभवन ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी जांच की।
इससे पहले 9 मार्च 2025 को भी उन्हें सीने में दर्द के चलते एम्स, दिल्ली में भर्ती कराया गया था। 12 मार्च को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी।
राजनीतिक और व्यक्तिगत पृष्ठभूमि
18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक किसान परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ ने सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ से शिक्षा प्राप्त की थी। वे NDA में चयनित हुए थे, लेकिन बाद में राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और LLB की डिग्री हासिल कर जयपुर में वकालत शुरू की।
वे 1989 में झुंझुनू से लोकसभा सांसद बने और वी.पी. सिंह तथा चंद्रशेखर सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे। जुलाई 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इसके बाद अगस्त 2022 में उन्होंने भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को पराजित किया था।




